Homi J Bhabha Biography Hindi – होमी जहांगीर भाभा की जीवनी

Homi J Bhabha Biography Hindi – होमी जहांगीर भाभा भारत के महान परमाणु वैज्ञानिक थे, इनका जन्म 30 अक्टूबर, 1909 को मुंबई के एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। इनके पिता जहांगीर भाभा ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की थी यह एक जाने-माने वकील भी रहे थे, इन्होने कुछ समय के लिए टाटा इंटरप्राइजेज के लिए भी काम किया था। इनकी माता जी भी उच्च घराने से सम्बन्ध रखती थी।

Homi J Bhabha Biography Hindi – संछेप में परिचय

Homi J Bhabha Biography Hindi

  • नाम – होमी जहांगीर भाभा
  • जन्म – 30 अक्टूबर, 1909
  • जन्म स्थान – मुंबई
  • शिक्षा – बीएससी
  • प्रोफेशन – परमाणु वैज्ञानिक
  • मृत्यु – 24 जनवरी 1966 में स्विट्जरलैंड में
  • पाँच बार भौतिकी में नोबेल पुरस्कार
  • पश्चिमी देशों के वैज्ञानिक की भी हेल्प की
  • टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च’ की स्थापना की

Homi J Bhabha Education –

होमी भाभा की प्रारंभिक शिक्षा कैथरैडल स्कूल में हुई थी, बाद में यह आगे की शिक्षा के लिए जॉन केनन में गए थे, उसके बाद इन्होने एल्फिस्टन कॉलेज मुंबई और रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से बीएससी की परीक्षा पास की, बाद में यह इंग्लैंड चले गए जहाँ उन्होंने कैंब्रिज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।

होमी भाभा ने वर्ष 1930 में स्नातक की उपाधि अर्जित की थी, सन् 1934 में यह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से ही डाक्टरेट की उपाधि भी ली थी। भाभा जी के बारे में एक मजेदार बात यह है की ये विज्ञान के साथ-साथ शास्त्रिय संगीत, मूर्तीकला, चित्रकला तथा नृत्य आदि क्षेत्रों में भी काफी रूचि लेते थे।

कुशाग्र बुद्धी के कारण होमी को लगातार छात्रवृत्ती मिलती रही

Homi J Bhabha Career –

दूसरे विश्वयुद्ध के प्रारंभ में वर्ष 1939 में होमी भाभा इंग्लैंड से भारत आये थे, तब तक यह दुनिया में काफी नाम कमा चुके थे, उसी समय यह बेंगलूर के इंडियन स्कूल आफ साइंस से जुड़ गए और वर्ष 1940 तक उसी में रीडर पद पर नियुक्त रहे। यही से इनके बिज्ञान के कैरियर की शुरुवात हुई थी, यही से इन्होने कॉस्मिक किरणों की खोज की और अपने लिए एक अलग से विभाग की स्थापना की।

होमी भाभा ने वर्ष 1945 में जेआरडी टाटा की मदद से मुंबई में ‘टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च’ की स्थापना की थी, जिसमे यह निदेशक भी रहे थे।

वर्ष 1948 में डॉ भाभा ने भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना की और अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा फ़ोरम्स पर भारत का प्रतिनिधित्व किया।

वर्ष 1955 में जिनेवा में UNO द्वारा आयोजित ‘शांतिपूर्ण कार्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग’ के पहले सम्मलेन में डॉ. होमी भाभा को सभापति बनाया गया।

पुरस्कार और सम्मान –

  • होमी भाभा ने भारतीय और विदेशी यूनिवर्सिटी से कई मानद डिग्रियां प्राप्त की थी।
  • वर्ष 1941 में मात्र 31 वर्ष की आयु में डॉ भाभा को रॉयल सोसाइटी का सदस्य चुना गया था।
  • होमी भाभा को पाँच बार भौतिकी के नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया।
  • वर्ष में 1943 में एडम्स पुरस्कार मिला था।
  • होमी भाभा को वर्ष 1948 में हॉपकिन्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • वर्ष 1959 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने डॉ. ऑफ सांइस प्रदान किया गया था।
  • वर्ष 1954 में भारत सरकार ने डॉ. भाभा को पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया था।

होमी भाबा न सिर्फ़ एक महान गणितज्ञ और वैज्ञानिक थे बल्कि यह एक महान इंजीनियर, निर्माता और उद्यानकर्मी भी थे। इसके अलावा यह एक अच्छे कलाकार भी थे।

24 जनवरी 1966 में स्विट्जरलैंड में एक विमान दुर्घटना में भाभा जी की मृत्यु हो गयी थी।

महान वैज्ञानिक सी. वी. रमन की जीवनी

C.V Raman Biography in Hindi – महान वैज्ञानिक सी. वी. रमन की जीवनी

C.V Raman Biography in Hindi – दक्षिण भारत (साउथ इंडिया) के महान महान वैज्ञानिक सी. वी. रमन का जन्म 7 नवम्बर 1988 को तिरुचिरापल्ली, तमिल नाडु, भारत में हुआ था। इनको भारतीय भौतिक-शास्त्री भी कहा जाता है, इन्होंने रमन प्रभाव नाम की खोज की जो, भौतिक वैज्ञानिक की दुनिया में काफी सराहनीय रही। (Dr. C.V Raman wiki, biography, death, Birthday, family, education, wife & more)

यह भारत के ऐसे साइंटिस्ट हुए थे जिन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन और रमन प्रभाव की खोज की थी। इनके माता पिता का नाम चंद्रशेखर अय्यर और पार्वती अम्मा था। बताया जाता है कि इनके पिता पिता चंद्रशेखर अय्यर ए वी नरसिम्हाराव महाविद्यालय, विशाखापत्तनम, (आधुनिक आंध्र प्रदेश) में भौतिक विज्ञान और गणित के प्रवक्ता थे। इनके पिता को पढ़ने का बहुत शौक था इसलिए वो घर में ही एक छोटी सी लाइब्रेरी बना रखी थी, इसी कारण रमन को विज्ञान और अंग्रेज़ी साहित्य की पुस्तकों में बचपन से ही रूचि होने लगी थी।

सर रमन की इस खोज को सबसे पहले जर्मन साइंटिस्ट Peter Pringsheim ने Raman Effect का नाम दिया था।

C.V Raman Biography in Hindi – संछिप्त परिचय

C.V Raman Biography in Hindi

  • नाम – सी. वी. रमन
  • जन्म – जन्म 7 नवम्बर 1988
  • प्रोफेशन – साइंटिस्ट
  • पिता का नाम – चंद्रशेखर अय्यर
  • माता का नाम – पार्वती अम्मा
  • शिक्षा‎ – M.Sc. (भौतिक शास्त्र)
  • उपलब्धि – रमन प्रभाव की खोज, नोबेल पुरस्कार, भारत रत्न
  • मृत्यु‎ – 21 नवंबर 1970 (आयु 82) बंगलौर
  • डॉक्टरी शिष्य – जी एन रामचंद्रन
  • मात्र 11 वर्ष की आयु में मैट्रिक पास किये थे।
  • 13 साल की उम्र में इंटरमीडिएट

अवार्ड, पुरस्कार और सम्मान

चंद्रशेखर वेंकट रमन को बिज्ञान की दुनिया में कई पुरस्कार मिले जिनके बारे में आप नीचे जान सकते है।

  • वर्ष 1924 में सी. वी. रमन को लन्दन की ‘रॉयल सोसाइटी’ का सदस्य बनाया गया।
  • ‘रमन प्रभाव’ की खोज 28 फ़रवरी 1928 को हुई थी। इस महान खोज की याद में 28 फ़रवरी का दिन भारतमें हर वर्ष ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
  • वर्ष 1929 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस की अध्यक्षता की।
  • वर्ष 1930 में प्रकाश के प्रकीर्णन और रमण प्रभाव की खोज के लिए उन्हें भौतिकी के क्षेत्र में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार मिला।
  • वर्ष 1954 में सी. वी. रमन को  भारत रत्न से सम्मानित।
  • वर्ष 1957 में सी. वी. रमन को लेनिन शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

सी. वी. रमन से जुडी रोचक जानकारी –

  • 10 साल तक नौकरी करने के बाद वर्ष 1917 में सी.वी. रमन ने सरकारी नौकरी को अलविदा कह दिया था।
  • सी.वी. रमन ने अपने कॉलेज में रह कर देश के कोने-कोने में बसे गुणी और प्रतिभावान छात्रों को एकत्रित किया, और उनका मार्गदर्शन भी किया।
  • इन्होने वर्ष 1928 में रमन इफ़ेक्ट की खोज की थी।
  • वर्ष 1922 में सी.वी. रमन ने “प्रकाश का आणविक विकिरण” नाम के मोनोग्राफ का प्रकाशन करवाया था, जिसमें प्रकाश के रंगों में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया गया था।
  • वर्ष 1927 में सी.वी. रमन वाल्टेयर गए, जहां यह एक क्रोम्पटन के प्रभाव के बारे में आर्टिक्ल लिखा था।

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महान बैज्ञानिक डॉ विक्रम साराभाई की जीवनी

Vikram Sarabhai Biography Hindi – महान बैज्ञानिक डॉ विक्रम साराभाई की जीवनी

Vikram Sarabhai Biography Hindi – विक्रम साराभाई भारत के एक मशहूर बैज्ञानिक थे, इनको भारतीय अंतरिक्ष के प्रत्येक कार्यक्रमों का जनक भी कहा जाता है। अहमदाबाद की धरती पर जन्मे विक्रम साराभाई ने विज्ञानं की दुनिया में गजब का नाम कमाया।

विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद गुजरात, भारत के एक अमीर व्यापारी परिवार में हुआ था, इनके पिता अंबालाल साराभाई कई उद्योगों के मालिक थे, और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सहयोग भी दिए थे। इनकी माता का नाम श्रीमती सरला देवी था इन्होने मांटेसरी पद्धति प्रक्रिया का पालन करते हुए निजी स्कूल बनाया था, जिसका उदेश्य बच्चों की अच्छी शिक्षा का होना था।

विक्रम साराभाई अपने आठ भाई बहनों में से एक इकलौते ऐसे थे, जिन्होंने भारत को एक अच्छा सम्मान और गर्व से भरा देश बनाने के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया था। (Vikram Sarabhai koun hai? Vikram Sarabhai in hindi, Vikram Sarabhai age, biopic)

Vikram Sarabhai Biography Hindi – संछिप्त परिचय

Vikram Sarabhai Biography Hindi

  • नाम – विक्रम साराभाई
  • जन्म – 12 अगस्त 1919
  • प्रोफेशन – मशहूर बैज्ञानिक (साइंटिस्ट)
  • जन्म स्थान – अहमदाबाद गुजरात, भारत
  • पिता का नाम – अंबालाल साराभाई
  • माता का नाम – श्रीमती सरला देवी
  • भाई – बहन – 8
  • पुरस्कार और अवार्ड – पद्म भूषण और पदम् विभूषण
  • मृत्यु – 30 दिसंबर 1971

डॉ विक्रम साराभाई का शुरूआती जीवन एवं शिक्षा (Dr Vikram Sarabhai Early Life and Education)

डॉ विक्रम साराभाई को बचपन से ही बिज्ञान से बहुत लगाव रहा जिसकी वजह से वह एक महान भारतीय बैज्ञानिक बनकर देश के सामने उभरे। इन्होने अपनी प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा भारत से की उसके बाद यह कैंब्रिज विश्वविद्यालय के सेंट जॉन कॉलेज से जुड़े, जहाँ इन्होने आगे की पढाई पूरी की थी, पढ़ाई पूरी करने के बाद वे सन 1947 में भारत लौट आए।

जब यह विदेश से वापस भारत आये थे, उस समय भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था, बाद में विक्रम साराभाई ने भारत के स्वतंत्रता सेनानी रह चुके कुछ प्रसिद्ध हस्तियों से प्रेरित हुए और उनके साथ उन्होंने अपने जीवन में बहुत बड़े-बड़े काम किए, जिनमें से मुख्य मोतीलाल नेहरू, श्रीनिवास, शास्त्री जवाहरलाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, मौलाना आजाद, सीवी रमन और महात्मा गांधी जी आदि थे. इसके बाद वे एक नवीन प्रवर्तक उद्योगपति और दूरदर्शी भी बने।

डॉक्टर विक्रम साराभाई का कैरियर (Dr Vikram Sarabhai Career)

डॉ विक्रम साराभाई अपने आरम्भिक काल में जब वो अपनी पढाई पूरी करके इंग्लैंड से भारत आये, तब उन्होंने अपने घर के पास (अहमदाबाद) में मौजूद शोध संस्थान को बंद कराने के लिए अपने दोस्तों और कई समाज सेवी संस्था को एकजुट करके उसको बंद करवाया,  क्योंकि उनके घर के पास बहुत प्रदूषण फैल रहा था, उसके बाद इन्होने भारत में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला स्थापित करने की योजना बनाई।

समय बितने के साथ ही डॉ साराभाई ने अहमदाबाद एजुकेशन सोसायटी में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के लिए एक छोटी सी जमीन खरीद ली, और उसमे ही भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला का निर्माण कर दिया, उसी समय एमजी कॉलेज ऑफ साइंस का निर्माण कार्य भी जोरो पर चल रहा था।

एमजी कॉलेज ऑफ साइंस में दो छोटे कमरे को अनुसंधान कार्यों के लिए तैयार किया गया, फिर जैसे जैसे उनका काम पूरा होता गया, उन कमरो को योजनाबद्ध तरीके से भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के रूप में बदल दिया गया। कुछ समय बाद इन्होने और पैसा जुटाया और बिज्ञान की दुनिया में आगे बढ़ने के लिए काम करना शुरू कर दिया।

डॉ. साराभाई द्वारा स्थापित संस्थान – (Vikram Sarabhai Biography Hindi)

  • भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL), अहमदाबाद
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट (IIM), अहमदाबाद
  • Community Science Center, Ahemdabad, Gujarat
  • दर्पण अकाडेमी फ़ॉर परफ़ार्मिंग आर्ट्स, अहमदाबाद (अपनी पत्नी के साथ मिल कर)
  • विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम
  • स्पेस अप्लीकेशन्स सेंटर, अहमदाबाद (यह संस्थान साराभाई द्वारा स्थापित छह संस्थानों/केंद्रों के विलय के बाद अस्तित्व में आया)
  • फ़ास्टर ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर (FBTR), कल्पकम
  • वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन प्रॉजेक्ट, कोलकाता
  • इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (ICIL), हैदराबाद
  • यूरेनियम कार्पोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड(यूसीआईएल), जादूगुडा, Bihar

विक्रम साराभाई का व्यक्तिगत जीवन (Vikram Sarabhai Personal Life)

वर्ष 1942 में विक्रम साराभाई का विवाह एक शास्त्रीय नृत्यांगना मृणालिनी के साथ हुआ, इन जोड़ी की शादी भारत के चेन्नई शहर में हुई। बाद में इनकी दो संताने हुई एक बेटा और एक बेटी। बेटा का नाम कार्तिकेय और बेटी का नाम मालिका था। बेटी ने अपने कैरियर में अभिनेत्री और प्रसिद्ध कार्यकर्ता का नाम कमाया, वहीं उनका बेटा विज्ञान क्षेत्र में महारथ हासिल किया। बताया जाता है की पत्नी के साथ उनका वैवाहिक जीवन लंबे समय तक नहीं चल पाया, बाद में डॉक्टर कमला चौधरी के साथ उनके प्रेम संबंध रहा था।

विक्रम साराभाई की मिले अवॉर्ड्स एवं उपलब्धियां (Vikram Sarabhai Award & Achievements)

  • वर्ष 1966 में पदम् भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
  • वर्ष 1972 में मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार।
  • इसके अलावा इनको शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

खोज और प्रयोग – Vikram Sarabhai Biography Hindi

  • कॉस्मिक किरणों का निरीक्षण करने वाले नए दूरबीनो का निर्माण किया।
  • रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन बनाने में डॉक्टर होमी भाभा की सहायता करना।
  • साराभाई ने भारत में पहला रॉकेट लॉन्च इंप्रेशन स्थापित किया, यह संस्थान अरब सागर के तट के पास थुम्बा, तिरुवंतपुरम में स्थापित किया गया है।
  • रुसी स्पूतनिक लांच के बाद भारत में अंतरिक्ष की महत्वता को समझाया और सरकार को इस बात पर राजी किया कि हमारे देश में भी अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व पर जोर दिया जाना चाहिए।
  • ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान’ नामक संगठन यानी इसरो (ISRO) की स्थापना स्वयं की थी।
  • अमेरिकी अंतरिक्ष संस्थान नासा के साथ भी साराभाई के अच्छे तालमेल थे, उन्होंने सन 1975 से लेकर 1976 के दौरान सेटेलाइट सफल टेलिविजन एक्सपेरिमेंट लांच किया।
  • बाद में विक्रम ने एक अद्भुत भारतीय उपग्रह निर्माण की परियोजना भी शुरू कर दी गई, परिणाम स्वरुप पहला भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट सन 1975 में एक रुसी कॉस्मोडरोम से सफलतापूर्वक अपनी कक्षा में रखा गया।

विक्रम साराभाई की मृत्यु (Dr Vikram Sarabhai Death)

30 दिसंबर 1971 को मात्र 52 साल की उम्र में हार्ट अटैक की वजह से अचानक विक्रम साराभाई मृत्यु हो गई।

साराभाई को इसरो का पिता क्यों कहा जाता हैं ? (Why Doctor Vikram Sarabhai is Called Father of ISRO ?)

एक नई सोच के तहत विक्रम साराभाई ने ही सबसे पहले भारत सरकार को यह आश्वासन दिलाया था कि भारत में अंतरिक्ष सेंटर होने से इसके विकास को गति मिलेगी, जिससे वाली पीढ़ी अंतरिक्ष से जुड़ी बातों के बारे में आसानी से जान पाएगी, जिसके लिए जरुरी है की भारत में भी एक स्पेस सेण्टर खोला जाय, इसी वजह से इनको इसरो का पिता कहा जाता है।

भारत से 22 जुलाई 2019 को पहला लेंडर रोवर बनाया गया जो चांद की ओर पहुंचाया गया, ताकि चाँद के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके, इस रोवर का नाम विक्रम लैंडर रखा गया था, विक्रम साराभाई को सम्मान देते हुए इसरो के जनक के नाम पर ही लेंडर का नामकरण किया गया था।

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Albart Einstein Biography in Hindi – अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय

अल्बर्ट आइंस्टीन, दुनिया के महान वैज्ञानिक, जिन्होंने बिज्ञान को नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाया इन्होंने लोगों में बिज्ञान के प्रति रूचि पैदा की, इनके अविष्कारों को आज भी दुनिया याद करती है। आइंस्टीन ने थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी का सिद्धांत दिया था। साइंस सेक्टर में अभूतपूर्व योग्यदान के लिए उन्हें 1921 में फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार दिया गया था, इस पोस्ट में आप Albart Einstein Biography in Hindi से जुडी जानकारी प्राप्त करेंगे।

Albart Einstein Biography in Hindi – जीवन परिचय

Albart Einstein Biography in Hindi

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म (Albert Einstein Birthday) 14 March 1879 को जर्मनी के उल्मा में हुआ था, इनका पूरा नाम अल्बर्ट हेमर्न आइन्स्टीन था। बताया जाता है की जब इनका जन्म हुआ था तब इनके सिर का आकार कुछ अजीब सा था, मगर समय के साथ वो ठीक हो गया। इनके बारे में कहां जाता है की ये बचपन में दूसरे बच्चों की अपेक्षा थोड़ा टाइम बाद बोल पाए थे, बताया जाता है की 4 वर्ष के हो जाने के बाद ही ये बोल पाए थे। आइंस्टीन क्लासिकल म्यूजिक के बहुत बड़े फेन थे, उन्होंने एक बार कहा था की अगर मैं बैज्ञानिक नहीं होता तो एक अच्छा म्यूजिशियन जरूर होता।

अल्बर्ट आइंस्टीन का परिवार – (Albert Einstein Family)

अल्बर्ट का जन्म एक मध्यम वर्गीय यहूदी परिवार में हुआ था, इनके पिता का नाम हेमर्न आइन्स्टीन और माँ का नाम पौलिन कोच था। बताया जाता है की इनके पिताजी सैल्मन और इंजीनियर थे जिन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर इलेक्ट्रिक उपकरण बनाने की कंपनी खोली थी। उनकी माताजी एक गृहणी थी, इनके बहन का नाम माजा था जो अल्बर्ट आइंस्टीन से 2 वर्ष छोटी थी।

वैवाहिक जीवन (Albert Einstein Marriage Life)

बताया जाता है की अल्बर्ट आइंस्टीन ने 2 शादी की थी, उनकी पहली शादी वर्ष 1903 में मिलेना मरिक से हुई थी, जिससे वो अपने स्कूल के दिनों में मिले थे, वर्ष 1902 में पिता की मृत्यु के बाद ही अल्बर्ट ने मिलेना मरिक से शादी की थी। उसके बाद इस शादी से अल्बर्ट को एक बेटी और दो बेटे पैदा हुए, उसके बाद वर्ष 1919 में इनका तलाक हो गया, इसके बाद अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपनी कजिन से शादी कर ली।

Albert Einstein Inventions and Discoveries in Hindi – अल्बर्ट आइंस्टीन के आविष्कार

बताया जाता है की अल्बर्ट ने अपने जीवन में कई अविष्कार किये, लेकिन थॉयरी ऑफ़ रिलेटिविटी (सापेक्षता का सिद्धांत) के कारण उन्हें बहुत याद किया जाता है। यही वो सिद्धांत था जिसके वजह से परमाणु ऊर्जा और परमाणु बॉम्ब दुनिया के आधार में आया।

Albart Einstein Biography in Hindi  – थॉयरी ऑफ़ रिलेटिविटी

अल्बर्ट ने वर्ष 1905 में स्पेशल थॉयरी ऑफ़ रिलेटिविटी का सिद्धांत दुनिया को दिया, उसके बाद वो वर्ष 1915 में जनरल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी का सिद्धांत दिया, इस थ्योरी की मदद से उन्होंने ग्रहों की सूर्य की परिक्रमा की कक्षाओं की सही भविष्यवाणी की थी, गुरत्वाकर्षण बल कैसे काम करता इसमें इन्होंने अच्छे से बताया है। इसके बाद दो ब्रिटिश वैज्ञानिकों (British Scientist) सर फ्रैंक डयसन और सर आर्थर एड्डिंगटन ने 1919 में सूर्य ग्रहण के दौरान इनकी पुष्टि की थी।

E=MC2 सिद्धांत

वर्ष 1905 में अपने एक रिसर्च में अल्बर्ट ने E=MC2 का सिद्धांत बताया था, जो आगे चलकर दुनिया का सबसे प्रसिद्ध फार्मूला बन गया इस फार्मूला में E एनर्जी है जो कि वस्तु के मास (m) और स्पीड ऑफ़ लाइट (C) की पावर 2 के बराबर माना गया।

Albert Einstein Facts in Hindi – रोचक तथ्य

  • बताया जाता है की अल्बर्ट आइंस्टीन बहुत कम उम्र (महज 16 वर्ष) की आयु में अपना पहला रिसर्च पेपर पब्लिश किये थे, जिसका शीर्षक ” द इन्वेस्टीगेशन ऑफ़ द स्टेट ऑफ़ ऐथेर इन मेग्नेटिक फ़ील्ड्स” था।
  • जब अल्बर्ट अपने स्कूल (स्विस फ़ेडरल पॉलिटेक्निक स्कूल) में एडमिशन के लिए टेस्ट देने गए थे तब उनका प्रदर्शन मैथ और फिजिक्स को छोड़कर बाकी सब्जेक्ट्स में बहुत बुरा था।
  • बताया गया है की अल्बर्ट के दिमाग में पैरिटल लोब का आकार सामान्य ब्रेन के मुकाबले 15 % बड़ा था।
  • जन्म से ही अल्बर्ट आइंस्टीन अनलिटिकल और क्यूरियस माइंड वाले थे लेकिन उनकी मेमोरी बहुत वीक थी वो डेट और फ़ोन नंबर याद नहीं कर पाते थे।
  • आइंस्टीन को मोजा पहनना बिलकुल भी पसंद नहीं था।
  • यह एक यहूदी समाज से सम्बन्ध रखते थे और इजरायल में रहते थे, जो की एक यहूदी देश है बताया ज्यादा है की इनको वर्ष 1952 में इज़रायल का राष्ट्रपति बनने का अवसर दिया गया था लेकिन आइंस्टीन ने उसे ठुकरा दिया था।
  • इन्होंने अलकोहल गैस से चलने वाले रेफ्रिजरेटर का अविष्कार भी किया था, मगर नयी टेक्नोलॉजी आने के कारण इसपर आगे कभी काम नहीं हो पाया।
  • आइंस्टीन की मृत्यु के बाद जिस डॉक्टर ने उनके शव का परीक्षण किया उसने उनके दिमाग को निकाल कर एक जार में रख लिया था, जिसके लिए उसको नौकरी से निकाल दिया गया था फिर भी उसके वो जार नहीं लौटाया, बाद में कुछ दिन बाद उसके वह जार स्वतः लौटा दिया।
  • अल्बर्ट को जिस e=mc2 फार्मूला से पहचान मिली वो फार्मूला सबसे पहले फ्रेड्रिच के द्वारा इस्तेमाल किया था।
  • जब हिटलर जर्मनी का वाईस चांसलर बना, उसके ठीक एक महीने बाद आइंस्टीन ने जर्मनी छोड़ दिया और स्थाई रूप से अमेरिका में जाकर बस गए, उसके बाद वो कभी भी जर्मनी नहीं आये। कहा जाता है की अमेरिका में बहार से आये दिमाग ने ऐसी तरक्की की, जिसकी वजह से आज अमेरिका नंबर वन बना है अमेरिकी लोग ऐसे लोगों की कदर भी बहुत करते है।
  • प्राइज फोटोइलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट के लिए आइंस्टीन को नॉवल पुरस्कार दिया गया था, जबकि बहुत लोग यह मानते है की इनको यह पुरस्कार “अवार्ड थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी” के लिए मिला था।

Albert Einstein दुनिया के महान बैज्ञानिक थे, आज भी लोग उनको याद करते है, जब तक यह दुनिया रहेगी लोग उनको याद करते रहेंगे।

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APJ Abdul Kalam Biography in Hindi – ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की जीवनी

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का परिचय – APJ Abdul Kalam Biography in Hindi –

APJ Abdul Kalam Biography in Hindi

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, एक विलक्षण व्यक्तित्व, महान बैज्ञानिक, राजनेता, मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति थे। (apj abdul kalam biography in hindi) उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुसलमान परिवार मैं हुआ था। उनके पिता का नाम जैनुलअबिदीन था, जो की एक नाविक थे और उनकी माता अशिअम्मा एक गृहणी थीं।

उनके परिवार की स्थिति अच्छी नहीं थी जिसके चलते उनको बचपन से ही काम करना पड़ा, पिता की आर्थिक मदद के लिए बालक कलाम स्कूल के बाद समाचार पत्र वितरण का काम करते थे। स्कूली शिक्षा के समय से ही कलाम पढाई-लिखाई में सामान्य थे पर नयी चीज़ सीखने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे।

उनके अन्दर सीखने की भूख थी और वो पढाई पर घंटो ध्यान देते थे, उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा “रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल” से पूरी की और बाद में वे तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिए जहाँ से उन्होंने सन 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया, उसके उपरान्त वो (1955) में मद्रास चले गए। जहाँ उन्होंने “एयरोस्पेस इंजीनियरिंग” की शिक्षा ग्रहण की, 1960 में कलाम साहब ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी कर ली।

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ऐसे ब्याक्तित्व के ब्यक्ति थे जिनको सभी लोग प्यार करते है, आज वो इस दुनिया में नहीं है फिर भी उनको लोग बहुत याद करते है उनको भारत का मिसाइलमैन भी कहा जाता है आज उनके नाम से भारत में कई तरह के एजुकेशनल इंस्टिट्यूट भी बनाये गए है जो उनके महान ब्यक्तित्व को चिन्हित करता है। कलाम साहब एक महान ब्याक्तित्व के बैज्ञानिक एवं राजनेता थे। कलाम साहब का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम था। उनको लोग कलाम के नाम से ज्यादा जानतें थे।

कलाम साहब के बारे में इंग्लिश में पढ़ने ले लिए यहाँ क्लिक करें – A. P. J. Abdul Kalam

APJ अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश के प्रतिष्ठित संस्थान डीआरडीओ और इसरो (DRDO & ISRO) में भी काम किया था। उनको लोग एक बहुत ही अच्छा बैज्ञानिक मानते थे साथ में एक अच्छा और जनता का राष्ट्रपति भी। उन्होंने 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ कलाम अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम (Missile Development Program) के साथ भी जुड़े थे। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है। 2002 में कलाम साहब को देश का 11वां राष्ट्रपति चुना गया। राष्ट्रपति का कार्यकाल ख़त्म होने के बाद वो शिक्षण, लेखन, और सार्वजनिक सेवा में लौट आए। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

APJ Abdul Kalam (Biographical Sketch Information) Hindi –

अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम मसऊदी अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम मसऊदी 1970 और 1980 के दशक में अपने कार्यों और सफलताओं से भारत में बहुत प्रसिद्द हो गए थे। एक नजर कलाम साहब के बारे में…

नाम – अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम मसऊदी अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम मसऊदी
जन्म – 15 अक्टूबर , 1931
मृत्यु – 27 जुलाई, 2015, शिलोंग, मेघालय
धर्म – इस्लाम
जन्म स्थान – रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत
माता पिता – आशियम्मा जैनुलाब्दीन
शिक्षा – सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
पेशा – प्रोफेसर, लेखक, वैज्ञानिक एयरोस्पेस इंजीनियर
राष्ट्रपति – 25 जुलाई 2002 – 25 जुलाई 2007
पद/कार्य – भारत के पूर्व राष्ट्रपति
वेबसाइट – http://www.abdulkalam.com/

APJ Abdul Kalam वैज्ञानिक जीवन –

  • 1972 में कलाम साहब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े।
  • कलाम साहब परियोजना महानिदेशक के रूप में पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाया।
  • 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था।
  • कलाम साहब 1980 के बाद अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गये।
  • ISRO लॉन्च व्हीकल Program को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है।
  • कलाम साहब ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया था।
  • इन्होने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था।
  • कलाम साहब July 1992 से Dec 1999 तक Defence Minister के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव भी रहे।
  • इन्होने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता में भी अपना बहुत अधिक योग्यदान दिया था।
  • कलाम ने भारत के विकास स्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक बनाने के लिए कई प्रयास किये।
  • भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे।
  • सन 1982 में कलाम साहब भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आये।
  • उन्होंने “गाइडेड मिसाइल” का भी विकास किया।
  • अग्नि मिसाइल और पृथ्वी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय भी काफी हद तक उन्हीं को जाता है।
  • July 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुये, उनकी देख रेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।

APJ Abdul Kalam भारत के राष्ट्रपति के रूप में –

  • एपीजे अब्दुल कलाम ने 25 July 2002 को भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किया।
  • राष्ट्रपति भवन में जाने वाले देश के पहले बैज्ञानिक और पहले स्नातक बने।
  • अपने 5 साल के कार्यकाल के दौरान, वह भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने के अपने दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध रहे।
  • युवा लोगों के साथ एक-से-एक बैठकें आयोजित करने उन्होंने उनको प्रेरित किया, जिसमे उनको सर्वश्रेष्ठ सफलता भी मिली।
  • समय के साथ उनको “जनवादी राष्ट्रपति” के रूप में जाना जाने लगा।
  • 2007 में, उन्होंने फिर से President चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति के रूप में पद छोड़ दिया।

APJ Abdul Kalam – पोस्ट प्रेसीडेंसी के रूप में

  • राष्ट्रपति का पद छोड़ने के बाद कलाम साहब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट शिलॉन्ग (IIM Shillong), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद (IIM Ahamdabad) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट इंदौर (IIM Indore) सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों में विजिटिंग प्रोफेसर बने।
  • राष्ट्रपति पद को छोड़ने के बाद कई वर्षों के बाद उनको अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी सिखाते हुए देखा गया उन्होंने BHU और अन्ना विश्वविद्यालय में भी प्रौद्योगिकी के बारे में लोगों को बताया। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान तिरुवनंतपुरम के चांसलर के रूप में भी कार्य किया।
  • वर्ष 2012 में, उन्होंने युवाओं में एक “देने” (“giving” attitude) के दृष्टिकोण को विकसित करने और छोटे लेकिन सकारात्मक कदम उठाकर उन्हें राष्ट्र निर्माण की दिशा में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ‘व्हाट कैन आई मूवमेंट’ नामक एक कार्यक्रम शुरू किया।

APJ Abdul Kalam पुरस्कार और उपलब्धियां –

  • कलाम साहब को भारत की ओर से पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया था, उन्होंने क्रमशः 1981, 1990 और 1997 के वर्षों में समान प्राप्त किया।
  • वर्ष 1997 में, उन्हें India Govt द्वारा राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • Next Year उन्हें भारत सरकार द्वारा वीर सावरकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • Alwar रिसर्च सेंटर, चेन्नई ने वर्ष 2000 में कलाम को रामानुजन पुरस्कार से सम्मानित किया।
  • वर्ष 2007 में कलाम साहब को रॉयल सोसाइटी, UK द्वारा “किंग चार्ल्स मेडल” से सम्मानित किया गया था।
  • वर्ष 2008 में, उन्होंने ASME फाउंडेशन, यूएसए द्वारा दिया गया हूवर मेडल जीता।
  • California इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूएसए (USA) ने कलाम को वर्ष 2009 में अंतर्राष्ट्रीय वॉन कर्मन विंग्स पुरस्कार से सम्मानित किया।
  • IEEE ने कलाम को वर्ष 2011 में IEEE मानद सदस्यता से सम्मानित किया।
  • कलाम 40 विश्वविद्यालयों (Universities) के मानद डॉक्टरेट के गौरव प्राप्त करने वाले थे।
  • इसके अतरिक्त संयुक्त राष्ट्र द्वारा कलाम के 79 वें जन्मदिन को विश्व छात्र दिवस के रूप में मान्यता दी गई थी।
  • कलाम साहब को वर्ष 2003 और 2006 में MTV यूथ आइकॉन ऑफ़ द ईयर अवार्ड के लिए नामांकित किया गया था।
कलाम साहब द्वारा लिखी गई पुस्तकें – जो पूरी दुनिया के लोग पढ़ते है –

Wings Of Fire, India 2020 – ‘इण्डिया 2020 ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम’, तथा ‘इग्नाटिड माइंड्स– अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’।

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(1350 Words)

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