भारतीय हिन्दी बायोग्राफी ब्लॉग (इंडिया बायोग्राफी) में आप का स्वागत है, इस जीवनी लेख में आप आधुनिक भारत के पुनर्जागरण के पिता और प्रसिद्ध समाज सुधारक राजा राम मोहन राय के जीवन परिचय से जुड़ी जानकारी प्राप्त करेंगे, तो चलिए जान लेते हैं की कौन थे राजा राम मोहन राय जी ? (Raja Ram Mohan Roy Biography Hindi)
राजाराम मोहन राय से जुड़े सवाल जो अक्सर लोग इंटरनेट पर सर्च करते हैं।
राजाराम मोहन राय समाज में व्याप्त किन किन कुरीतियों के विरुद्ध थे और उन्होंने इसके लिए क्या किया?
राजाराम मोहन राय ने किसकी स्थापना की और किस का विरोध किया?
राजा राममोहन राय का वास्तविक नाम क्या था?
भारत में ब्रिटिश शासन के प्रति राजा राममोहन राय के दृष्टिकोण क्या था?
Raja Ram Mohan Roy Biography Hindi – जीवन परिचय
राजा राम मोहन रॉय को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत और आधुनिक भारत का जनक कहा जाता है, इन्होने भारत में कई समाज सुधार किये थे, जिनसे जुड़े सवाल भारत के आईएएस परीक्षा में भी पूछे जाते हैं, इनका जन्म 22 मई 1772 को पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के राधा नगर गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम रमाकान्त राय एवं माता का नाम तारिणी देवी था। इनके पितामह कृष्ण चन्द्र बर्नजी बंगाल के नवाब हुआ करते थे, राजाराम मोहन राय प्रतिभा के धनी और बहुभाषाविद् ब्यक्तित्व वाले थे। इनके बारे में कहा जाता है की इनको बंगला, फारसी, अरबी, संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, ग्रीक, फ्रैन्च और लेटिन भाषा का अच्छा ज्ञान था।
राजा राम मोहनराय की शिक्षा
इनके शिक्षा के बारे में कहा जाता है की इन्होने वर्ष 1830 में इंग्लैंड जाकर भारतीय शिक्षा के मशाल जलाई थी। यह इतिहास के काफी अच्छे जानकार माने जाते थे। इन्होने वर्ष 1803 से 1814 तक ईस्ट इंडिया कंपनी के लिये वुडफोर्ड और डिग्बी के अंतर्गत निजी दीवान के रूप में कार्य किया था।
विचारधारा
- रॉय जी के बारे में कहा जाता है की यह पश्चिमी आधुनिक विचारों से बहुत प्रभावित थे।
- इन्होने बुद्धिवाद और आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर अधिक बल दिया था।
- राजाराम जी मानते थे की धार्मिक रूढ़िवादिता सामाजिक जीवन को क्षति पहुँचाती है।
- इनका मानना था की प्रत्येक पापी को अपने पापों के लिये प्रायश्चित करना चाहिये।
- यह जाति व्यवस्था के प्रबल विरोधी थे।
- यह इस्लामिक एकेश्वरवाद के प्रति आकर्षित थे।
- यह मानते थे की एकेश्वरवाद ने मानवता के लिये एक सार्वभौमिक मॉडल बनाया है।
राजाराम मोहन रॉय का देश में योगदान
राजाराम मोहन रॉय को धार्मिक सुधार, समाज सुधार, शैक्षिक सुधार और आर्थिक और राजनीतिक सुधार के लिए जाना जाता है, सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में सती प्रथा था आईये जानतें है की राजाराम ने इनसब सुधारों में क्या – क्या किये थे।
धार्मिक सुधार –
धार्मिक सुधारों में सबसे पहले राजाराम ने वर्ष 1803 में तुहफ़ात-उल-मुवाहिदीन (देवताओं को एक उपहार) प्रकाशित करवाया था, जिसमे हिंदुओं के तर्कहीन धार्मिक विश्वासों और भ्रष्ट प्रथाओं को उजागर किया गया था।
वर्ष 1814 में मोहनराय ने मूर्ति पूजा, जातिगत कठोरता, निरर्थक अनुष्ठानों और अन्य सामाजिक बुराइयों का विरोध करने के लिये पश्चिम बंगाल की राजधानी कलकत्ता में आत्मीय सभा की स्थापना की थी।
इन्होने ईसाई धर्म के कर्मकांड की आलोचना की थी, और ईसा मसीह को भगवान के अवतार के रूप में खारिज किया था। वर्ष 1820 में इन्होने प्रिसेप्टस ऑफ जीसस नामक पुस्तक भी लिखी थी।
समाज सुधार –
राजाराम ने सुधारवादी धार्मिक संघों की कल्पना करी थी, जिसमे सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन को देखा गया था। बाद में इन्होने वर्ष 1815 में आत्मीय सभा, वर्ष 1821 में कलकत्ता यूनिटेरियन एसोसिएशन और वर्ष 1828 में ब्रह्म सभा की स्थापना की थी।
इन्होने देश में जाति व्यवस्था, छुआछूत, अंधविश्वास और नशीली दवाओं के इस्तेमाल के विरुद्ध अभियान चलाया था।
इन्होने ने महिलाओं की स्वतंत्रता और सती प्रथा एवं विधवा पुनर्विवाह के उन्मूलन पर अधिक बल दिया था। इनके अथक प्रयासों के बाद ही सती प्रथा समाप्त हुई थी।
इन्होने देश में बाल विवाह, महिलाओं की अशिक्षा और विधवाओं की अपमानजनक स्थिति का विरोध किया था, और उनके लिए विरासत तथा संपत्ति में अधिकार माँगा था।
शैक्षिक सुधार
राजाराम मोहन रॉय ने देश में आधुनिक शिक्षा का प्रसार किया था। इन्होने वर्ष 1817 में हिंदू कॉलेज खोजने के लिए डेविड हेयर के प्रयासों का समर्थन किया था। उस समय राजाराम जी अंग्रेज़ी स्कूल में मैकेनिक्स और वोल्टेयर के दर्शन को पढ़ाया करते थे।
वर्ष 1825 में राजाराम मोहन रॉय ने वेदांत कॉलेज की स्थापना की जहाँ देश के लोगों को शिक्षण और पश्चिमी सामाजिक और भौतिक विज्ञान दोनों पाठ्यक्रमों को पढ़ाया जाता था।
आर्थिक और राजनीतिक सुधार
नागरिक स्वतंत्रता
प्रेस की स्वतंत्रता
कराधान सुधार
प्रशासनिक सुधार
राजाराम मोहन राय के साहित्यिक कार्य
इन्होने वर्ष (1804) में तुहफ़त-उल-मुवाहिदीन, वर्ष (1815) में वेदांत गाथा, वर्ष (1816) में वेदांत सार के संक्षिप्तीकरण का अनुवाद, वर्ष (1820) में द प्रिसेप्टस ऑफ जीसस- द गाइड टू पीस एंड हैप्पीनेस, (1826) में बंगाली व्याकरण, वर्ष (1829) में द यूनिवर्सल रिलीजन और भारतीय दर्शन का इतिहास जैसी साहित्यिक रचनाएँ भी की थीं।
रोचक जानकारी –
- राजाराम मोहनरॉय ने सती प्रथा को समाप्त करवाया था।
- यह इतिहास के काफी अच्छे जानकर थे।
- इन्होने देश में कई सामाजिक सुधार किये थे।
- आज भी इनके बारे में आईएएस जैसी परीक्षा में सवाल पूछे जाते हैं।
- इनको मानव सभ्यता का आदर्श भी माना जाता है।
Raja Ram Mohan Roy Biography Hindi से जुड़ी जानकारी आपको कैसी लगी?
इनके जीवन परिचय भी पढ़ें