Rabindranath Tagore Biography in Hindi – रबिन्द्रनाथ टैगोर जीवनी

रबिन्द्रनाथ टैगोर (जीवनी) जीवन परिचय (Rabindranath Tagore Biography in Hindi)

Rabindranath Tagore Biography in Hindi

नाम – रबिन्द्रनाथ टैगोर
जन्म – 7 मई, 1861, कोलकाता
मृत्यु – 7 अगस्त, 1941, कोलकाता
उपलब्धियां – विश्व-भारती की स्थापना, गीतांजलि, गोरा, घरे बाइरे, जन गण मन, रबीन्द्र संगीत, आमार सोनार बांग्ला, नौका डूबी कविता संग्रह
पुरस्कार – साहित्य का नोबेल पुरस्कार 1913
व्यवसाय – लेखक, कवि, नाटककार, संगीतकार, चित्रकार

Rabindranath Tagore Biography in Hindi – प्रारंभिक जीवन परिचय –

रबिन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861, में भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के कोलकाता शहर के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी इलाके में हुआ था, वह एक महान लेखक, कवि, नाटककार, संगीतकार और चित्रकार भी थे। उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था। पत्नी का नाम मृणालिनी देवी था, उनकी पांच संताने थी। बचपन में ही रबिन्द्रनाथ टैगोर की माता का देहांत हो गया था, उनके पिता यात्रायें करते थे जिसके कारण इनका लालन- पालन नौकर लोग करते थे। उस समय टैगोर परिवार ‘बंगाल रेनैस्सा’ (नवजागरण) के अग्र-स्थान पर था। उस समय पश्चिम बंगाल में पत्रिकाओं का प्रकाशन, थिएटर, बंगाली और पश्चिमी संगीत की प्रस्तुति अक्सर हुआ करती थी जिसके कारण उनके घर का माहौल किसी विद्यालय से कम नहीं था।

रविंद्रनाथ टैगोर एक विश्व विख्यात कवि, साहित्यकार और दार्शनिक थे। वह एक ऐसे अकेले भारतीय साहित्यकार है जिनको नोबेल पुरस्कार (1913) मिला। टैगोर जी दुनिया के वो कवि है जिन्होंने दो देशों के राष्ट्रगान की रचना की एक भारत और दूसरा बंगलादेश, दोनों देशों के राष्ट्रगान को टैगोर जी ने ही लिखा है। भारत का राष्ट्र-गान ‘जन गण मन’ और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान ‘आमार सोनार बाँग्ला’। इन्होने बांग्ला साहित्य और संगीत को एक नई दिशा दी थी। उनकी प्रतिभा का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब वे 8 साल के थे तब उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी थी। 16 साल की उम्र में ही उनकी कवितायेँ प्रकाशित होने लगी थी। रविंद्रनाथ टैगोर घोर राष्ट्रवादी थे, उन्होंने ब्रिटिश राज की भर्त्सना करते हुए देश की आजादी की मांग की थी। उन्होंने जलिया वाला बाग़ हत्याकांड के बाद अंग्रेजों द्वारा दिया गया नाइटहुड त्याग दिया था।

इसे भी पढ़ें – 

Swami Vivekanand Biography Hindi

Gandhi Ji Biography Hindi

Bhagat Singh Ki Jivani Hindi

टैगोर के अपने – उनके बड़े भाई द्विजेन्द्रनाथ एक दार्शनिक और कवि थे। दूसरे भाई सत्येन्द्रनाथ टैगोर इंडियन सिविल सेवा में शामिल होने वाले पहले भारतीय थे। उनके एक भाई और थे जिनका नाम ज्योतिन्द्रनाथ था, जो बहुत ही अच्छे संगीतकार और नाटककार थे। उनकी बहन स्वर्नकुमारी देवी एक कवयित्री और उपन्यासकार थीं।

रविंद्रनाथ टैगोर कैरियर –

टैगोर को बचपन से ही उनके भाई हेमेंद्रनाथ पढाया करते थे। पढाई के साथ – साथ टैगोर जी ने तैराकी, कसरत, जुडो और कुश्ती भी करते थे, इसके अलावा भी वो ड्राइंग, शरीर रचना, इतिहास, भूगोल, साहित्य, गणित, संस्कृत और अंग्रेजी के बारे में पढाई किये। औपचारिक शिक्षा उनको बिलकुल भी नापसंद थी इतिहास बतलाता है की वो कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में सिर्फ एक दिन ही गए थे।

अपने उपनयन संस्कार की वजह से टैगोर जी अपने पिता के साथ कई बार घूमने जाया करते थे, एक बार वो अपने पिता के साथ हिमालय स्थित पर्यटन-स्थल डलहौज़ी के जागीर शान्तिनिकेतन गए थे फिर उसके बाद वो अमृतसर भी गए। डलहौज़ी में उन्होंने इतिहास, खगोल विज्ञान, आधुनिक विज्ञान, संस्कृत, जीवनी का अध्ययन किया साथ में कालिदास के कविताओं की विवेचना की। उसके बाद वो अपने घर जोड़ासाँको लौट आये, सन 1877 तक उन्होंने अपनी बहुत सारी महत्वपूर्ण रचनाएँ कर डाली।

पिता देबेन्द्रनाथ उन्हें बैरिस्टर बनाना चाहते थे इसलिए उन्होंने रविंद्रनाथ को वर्ष 1878 में इंग्लैंड भेज दिया। वहां उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन (University College of London) में लॉ की पढाई के लिए दाखिला लिया, कुछ ही दिनों में उन्होंने पढाई छोड़ दी और उसके बाद उन्होंने शेक्सपियर की साहित्यिक रचनाओं का स्व-अध्ययन किया। 1880 में बिना लॉ की डिग्री के वह बंगाल वापस लौट आये। वर्ष 1883 में उनका विवाह मृणालिनी देवी से हुआ।

इंग्लैंड से वापस आने और अपनी शादी के बाद से लेकर सन 1901 तक टैगोर जी सिआल्दा (अब बांग्लादेश में) स्थित अपने परिवार में ही बिताये। वर्ष 1898 से ही वो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ सिआल्दा में रहे। वर्ष 1891 से लेकर 1895 तक उन्होंने ग्रामीण बंगाल के पृष्ठभूमि पर आधारित कई लघु कथाएँ लिखीं। वर्ष 1901 में रविंद्रनाथ शान्तिनिकेतन चले गए, जहाँ वो एक अच्छा सा आश्रम स्थापित करना चाहते थे, जिसमे एक स्कूल, पुस्तकालय और पूजा स्थल हो, उन्होंने वो सब किया, यहीं पर उनकी पत्नी और दो बच्चों की मौत भी हुई। उनके पिता भी सन 1905 में चल बसे। उसके बाद विरासत से मिली संपत्ति से मासिक आमदनी भी होने लगी थी।

14 नवम्बर 1913 को टैगोर को साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। नोबेल पुरस्कार संस्था स्वीडिश अकैडमी ने उनके कुछ कार्यों के अनुवाद और ‘गीतांजलि’ के आधार पर उन्हें ये पुरस्कार देने का निर्णय लिया था। वर्ष 1921 में उन्होंने कृषि अर्थशाष्त्री लियोनार्ड एमहर्स्ट के साथ मिलकर उन्होंने अपने आश्रम के पास ही ‘ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान’ की स्थापना की। कुछ समय बाद इसका नाम बदलकर श्रीनिकेतन कर दिया गया।

अपने जीवन के अंतिम दस वर्षों में टैगोर जी सामाजिक तौर पर बहुत सक्रीय रहे। इस दौरान उन्होंने लगभग 15 गद्य और पद्य कोष लिखे। इस लेख के जरिये उन्होंने मानव जीवन के कई सारे पहलुओं को छुआ, इस दौरान उन्होंने विज्ञानं से सम्बंधित लेख भी लिखे।

रविंद्रनाथ टैगोर की यात्रायें – Rabindranath Tagore Biography in Hindi

1878 से लेकर सन 1932 तक उन्होंने 30 देशों की यात्रा की। उनकी यात्रा का मकसद था साहित्यिक रचनाओं को सभी तक पहुंचना, जो बंगाली भाषा नहीं समझते थे। अंग्रेजी कवि विलियम बटलर यीट्स ने गीतांजलि के अंग्रेजी अनुवाद का प्रस्तावना लिखा। उन्होंने अपनी अंतिम विदेश यात्रा सन 1932 में सीलोन (अब श्रीलंका) में की थी।

संगीत और कला –

रविंद्रनाथ टैगोर कवि और साहित्यकार के साथ-साथ एक उत्कृष्ट संगीतकार और पेंटर भी थे। उन्होंने लगभग 2230 गीत लिखे, इन गीतों के संग्रह को “रविन्द्र संगीत” कहा जाता है। यह बंगाली संस्कृति का अभिन्न अंग है। 60 साल की उम्र में रविंद्रनाथ टैगोर ने ड्राइंग और चित्रकला में रूचि दिखाना प्रारंभ किया।

राजनैतिक विचार –

इतिहास बताता है की उनके राजनैतिक विचार बहुत जटिल थे। वे यूरोप के उपनिवेशवाद की आलोचना करते थे और भारतीय राष्ट्रवाद का समर्थन, इसके साथ उन्होंने स्वदेशी आन्दोलन की आलोचना की और कहा कि हमें आम जनता के बौधिक विकास पर ध्यान देना चाहिए, इस प्रकार हम स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। स्वतंत्रता आन्दोलन के समर्थन में उन्होंने कई गीत भी लिखे। उन्होंने गाँधी और संबिधान निर्माता आंबेडकर के मध्य ‘अछूतों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल’ मुद्दे पर हुए मतभेद को सुलझाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अंतिम समय

उन्होंने अपने जीवन के अंतिम चार साल पीड़ा और बीमारी में बिताये। वर्ष 1937 के अंत में वो अचेत हो गए और बहुत समय तक इसी अवस्था में रहे। बाद में वो ठीक हो गए थे, जब वो ठीक रहते थे तो कवितायेँ लिखना शुरू कर देते थे। लम्बी बीमारी के बाद 7 अगस्त 1941 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

APJ Abdul Kalam Biography Hindi

Others Related Searches –

rabindranath tagore biography in hindi language
gurudev rabindranath tagore biography in hindi
writer rabindranath tagore biography in hindi

Bhagat Singh Biography In Hindi भगत सिंह जीवन परिचय (जीवनी)

Bhagat Singh Biography In Hindi – भगत सिंह एक महान स्वतंत्रता सेनानी व क्रन्तिकारी ब्यक्ति थे। इन्होने भारत के क्रन्तिकारी आंदोलन को एक नई दिशा दी, पंजाब में क्रांति को लेकर भगत सिंह ने नौजवान भारत सभा का गठन किया, हिंदुस्तान में गणतंत्र की स्थापना के लिए चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र संघ का गठन करने में इनकी बहुत बड़ी भूमिका रही। लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह ने पुलिस अधिकारी सॉन्डर्स की हत्या की, उसके बाद बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर केन्द्रीय विधान सभा में बम फेका, यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक थे।

Bhagat Singh Biography In Hindi – (जीवनी)

Bhagat Singh Biography In Hindi

पूरा नाम – भगत सिंह
जन्म – 27 सितम्बर, 1907, पंजाब के नवांशहर जिले के खटकर कलां गावं के एक सिख परिवार
पिता – किशन सिंह
माता – विद्यावती
स्कूली शिक्षा – लाहौर के डी ऐ वी विद्यालय
परिवार – भगत सिंह का परिवार एक आर्य-समाजी सिख परिवार था।
आंदोलन में शामिल – असहयोग आंदोलन, साइमन कमीशन

विकिपीडिया पर देखेंभगत सिंह

भगत सिंह का जन्म 27 सितम्बर, 1907, पंजाब के नवांशहर जिले के खटकर कलां गावं के एक सिख परिवार में हुआ था, बचपन से ही इनके अंदर देश भकित कूट – कूट कर भरी थी जिसकी वजह से यह देश सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहा करते थे। इनके जन्म के बारे में कुछ और बातें भी कही जाती है जैसे की इनका जन्म लायलपुर ज़िले के बंगा में (अब पाकिस्तान में) हुआ था पिता का नाम किशन सिंह और माता का विद्यावती था। भगत सिंह विद्यावती की तीसरी संतान थे।

Bhagat Singh Biography In Hindi स्कूली शिक्षा –

भगत सिंह 1916 में लाहौर के डी ऐ वी (DAV) विद्यालय में पढाई करते थे पढाई के दिनों में ही भगत सिंह जाने-पहचाने राजनेता जैसे लाला लाजपत राय और रास बिहारी बोस के साथ उठते बैठते थे यानि उनका संपर्क बड़े नेताओं से था। उसके बाद भगत सिंह ने बहुत सारे क्रन्तिकारी काम किये और भारत स्वतंत्र राष्ट्र बने इसके लिए उन्होंने देश के बड़े बड़े नेताओं और महान विचारों के साथ मिलकर देश को आजाद कराने में अपना योग्यदान दिया।

13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड होने के बाद से भगत सिंह के मन पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा, उनका मन इस भयंकर अमानवीय कृत को देखकर बहुत बिचलित हो गया और उन्होंने देश को स्वतंत्र कराने के बारे में मन बना लिया। इसके बाद वो चंद्रशेखर आज़ाद के साथ मिलकर क्रांतिकारी गतिविधियों और संगठनों पर काम करने लगे।

हलाकि अंग्रेजी हुकूमत ने उनको एक आतंकवादी घोषित किया था , पर भगत सिंह खुद आतंकवाद के आलोचक थे। उनका तत्कालीन लक्ष्य ब्रिटिश सरकार व साम्राज्य का विनाश करना था। अपनी एक अच्छी दूरदर्शिता और दृढ़ इरादे जैसी विशेषता के साथ भगत सिंह दूसरों से बहुत अलग देखे जाते थे। ऐसे समय में जब गाँधी जी ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए आजादी के एक विकल्प थे उस समय भगत सिंह एक दूसरे विकल्प के रूप में उभर कर सामने आये।

क्रन्तिकारी जीवन –

1921 में जब महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत की तब भगत सिंह ने अपनी पढाई छोड़कर उनके साथ आने का फैसला किया। और आंदोलन में सक्रिय हो गए। 1922 में गोरखपुर के चौरी-चौरा में हुई हिंसा के बाद असहयोग आंदोलन बंद करने पर वो बहुत उदास हो गए फिर लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित राष्ट्रीय विद्यालय में प्रवेश लिया। यह विधालय क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र था और यहाँ पर वह भगवती चरण वर्मा, सुखदेव और दूसरे क्रांतिकारियों के संपर्क में आये।

एक बार की बात है भगत सिंह की शादी की बात चल पड़ी थी इसकी सूचना जैसे ही भगत सिंह को मिली वो कानपूर भाग गए थे। वहीँ पर उनकी मुलाकात गणेश शंकर विद्यार्थी नामक क्रांतिकारी से हुई उनके संपर्क में आकर भगत सिंह ने क्रांति का प्रथम पाठ सीखा। उसके बाद उनको, उनकी दादी की बीमारी का पता चला जिसके बाद वो घर वापस आ गए, जहाँ उन्होंने अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों को जारी रखा, फिर वो लाहौर चले गए और ‘नौजवान भारत सभा’ नाम से एक क्रांतिकारी संगठन बनाया।

वर्ष 1928 में इंग्लैंड से साइमन कमीशन नामक एक आयोग भारत दौरे पर आया। उनके कामों को लेकर भारत के लोगों में विरोध था जिसकी वजह से अंग्रेजों ने लाला लाजपत राय पर क्रूरता पूर्वक लाठी चार्ज किया जिससे वह बुरी तरह से घायल हो गए और बाद में उन्होंने दम तोड़ दिया। इसके बाद भगत सिंह ने क्या किया उसके बारे में आपने ने ऊपर की लाइन में जरूर पढ़ा होगा।

लाहौर मामले में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फाँसी की सज़ा सुनाई गई व बटुकेश्वर दत्त को आजीवन कारावास दिया गया। भगत सिंह को 23 March 1931 की शाम 7:00 सुखदेव और राजगुरू के साथ फाँसी पर लटका दिया गया। तीनों ने हँसते-हँसते देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया।

भगत सिंह बहुत ही अच्छे वक्ता, पाठक व लेखक भी थे। उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेख लिखा और उसका संपादन भी किया।

उनके द्वारा लिखी गयी मुख्य कृतियां कुछ इस प्रकार है ‘एक शहीद की जेल नोटबुक (संपादन: भूपेंद्र हूजा), सरदार भगत सिंह : पत्र और दस्तावेज (संकलन : वीरेंद्र संधू), भगत सिंह के संपूर्ण दस्तावेज (संपादक: चमन लाल)।

आप को Bhagat Singh Biography In Hindi कैसी लगी?

Swami Vivekananda Biography in Hindi – स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय

स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय – Swami Vivekananda Biography in Hindi स्वामी विवेकानन्द के जीवन से जुडी सभी जानकारी हिन्दी में।

 

Swami Vivekananda Biography in Hindi –

Swami Vivekananda Biography in Hindi

स्वामी विवेकानंद एक महान ब्यक्ति, सर्वश्रेष्ठ शिक्षक, सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करने वाले विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। इनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। इनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। इनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था, जो कलकत्ता हाई कोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। उनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों की महिला थीं, स्वामी जी के दादा दुर्गाचरण दत्ता, संस्कृत और फारसी के विद्वान थे, उन्होंने 25 की उम्र में घर छोड़ दिया और एक साधु बन गए।

बचपन से ही स्वामी विवेकानन्द (नरेन्द्र) अत्यन्त कुशाग्र बुद्धि के तो थे ही नटखट भी थे। स्वामी जी अपने साथी बच्चों के साथ वे खूब शरारत करते थे, मौका मिलने पर अपने अध्यापकों के साथ भी शरारत करने से नहीं चूकते थे। उनके वहां नियमित रूप से पूजा पाठ होती रहती थी। उनके माता श्री को पुराण,रामायण, महाभारत आदि की कथा सुनने का बहुत शौक था। माता-पिता के संस्कारों और धार्मिक वातावरण के कारण बालक (स्वामी जी) के मन में बचपन से ही ईश्वर को जानने और उसे प्राप्त करने की लालसा दिखायी देने लगी थी।

स्वामी विवेकानंद की शिक्षा –

स्वामी जी बचपन से ही बहुत तेज बुद्धि के थे, उस समय बालक लोग विद्यालय में 6-7 की उम्र होने के बाद ही दाखिला लेते थे, सन् 1871 में, 8 साल की उम्र में, स्वामी जी ने ईश्वर चंद्र विद्यासागर के मेट्रोपोलिटन संस्थान में दाखिला लिया जहाँ वे स्कूल गए। 1877 में उनका पूरा परिवार रायपुर चला गया। 1879 में, कलकत्ता में अपने परिवार की वापसी के बाद, वह एकमात्र छात्र थे जिन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज प्रवेश परीक्षा में प्रथम डिवीजन अंक प्राप्त किये।

स्वामी जी दर्शन, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कला और साहित्य सहित कई विषयों के काफी अच्छे पाठक थे। वे वेद, उपनिषद, भगवद् गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों के अतिरिक्त अनेक हिन्दू शास्त्रों में गहन रूचि रखते थे। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत में भी ट्रेनिंग ली थी, वे नियमित रूप से शारीरिक ब्यायाम करते थे। उन्होंने पश्चिमी दर्शन और यूरोपीय इतिहास का अध्ययन भी किया था। 1881 में इन्होंने ललित कला की परीक्षा उत्तीर्ण की, और 1884 में कला स्नातक (Arts) की डिग्री पूरी कर ली।

स्वामी जी अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने ही 1893 में रामकृष्‍ण मठ, रामकृष्‍ण मिशन और वेदांत सोसाइटी की नींव रखी थी। उनका एक कथन – “उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये” आज भी दुनिया के लिए एक आदर्श के रूप में जाना जाता है। उन्होंने भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश तक पहुंचाया। वे कई देशों जैसे अमेरिका, इंग्लैंड, यूरोप में भारतीय सभ्यता और संस्कृत को लोगों तक पहुचाये, उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे।

स्वामी जी, रामकृष्ण की मृत्यु के बाद बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा किया और ब्रिटिश भारत में मौजूदा स्थितियों का प्रत्यक्ष ज्ञान हासिल किया। बाद में वो अमेरिका चले गए। भारत में स्वामी विवेकानंद को एक देशभक्त संन्यासी के रूप में माना जाता है और उनके जन्मदिन को “राष्ट्रीय युवा दिवस” के रूप में मनाया जाता है।

स्वामी जी हमेशा कहते थे “अगर जीवन में सफल होना है ! तो हमेशा हमें अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए” उनकी एक बात और प्रचलित रही “सच्चा पुरुष वही होता है जो हर परिस्थिति में नारी का सम्मान करे”

स्वामी विवेकानन्द की यात्राएँ –

25 वर्ष की अवस्था में स्वामी जी गेरुआ वस्त्र धारण कर लिया था उसके बाद उन्होंने पूरे भारत का पैदल भ्रमण किया। विवेकानंद ने 31 May 1893 को अपनी यात्रा शुरू की और जापान के कई शहरों (नागासाकी, कोबे, योकोहामा, ओसाका, क्योटो और टोक्यो समेत) का दौरा किया,चीन और कनाडा होते हुए अमेरिका के शिकागो पहुँचे। स्वामी जी के वक्तृत्व-शैली तथा ज्ञान को देखते हुए मीडिया के लोगों ने उनको साइक्लॉनिक हिन्दू का नाम दिया था।

(Swami Vivekananda Biography in Hindi) स्वामी जी की बातें जो जीवन बदल देती है।

1. जब तक जिन्दगी है तब तक कुछ न कुछ सीखते रहना, क्योंकि अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक होता है।
2. जितना बड़ा संघर्ष होता है जीत भी उतनी ही बड़ी होती है।
3. पढाई के लिए जरुरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान. ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है।
4. पवित्रता, धैर्य और उद्यम- ये तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूं
5. उठो और जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तमु अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते।
6. ज्ञान अपने में वर्तमान है मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।
7. एक समय पर एक ही काम करना चाहिए उसके लिए उसमे अपनी पूरी ताकत लगा देनी चाहिए बाकि सब कुछ भूल जान चाहिए।
8. जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते।
9. ध्यान और ज्ञान का प्रतीक हैं भगवान शिव
10. लोग तुम्हारी स्तुति करें या निन्दा, लक्ष्य तुम्हारे ऊपर कृपालु हो या न हो, तुम्हारा देहांत आज हो या युग में, तुम न्याय पथ से कभी भ्रष्ट न हो।

ये 10 बातें जिसने भी अपने जीवन में उतार लिया समझो उसका जीवन और भविष्य बहुत ही अच्छा और सुनहरा होगा।

स्वामी विवेकानन्द ने 4 जुलाई 1902 को ध्यानावस्था में ही अपने ब्रह्मरन्ध्र को भेदकर महासमाधि ले ली। कलकत्ता में बेलूर गंगा तट पर चन्दन की चिता पर उनकी अंत्येष्टि की गयी थी। उनके शिष्यों और अनुयायियों ने उनकी स्मृति में वहाँ एक मन्दिर बनवाया और पूरे विश्व में विवेकानन्द तथा उनके गुरु रामकृष्ण के सन्देशों के प्रचार के लिये 130 से अधिक केन्द्रों की स्थापना की।

स्वामी जी के जीवन से जुडी महत्वपूर्ण तिथियों के बारे में एक नजर –

  • 12 Jan 1863 में कलकत्ता में जन्म।
  • 1879 प्रेसीडेंसी कॉलेज कलकत्ता में दाखिला।
  • 1880 में जनरल असेम्बली इंस्टीट्यूशन में दाखिला।
  • 1884 स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण; पिता का स्वर्गवास।
  • 1885 – रामकृष्ण परमहंस की अन्तिम बीमारी।
  • 16 August 1886 में रामकृष्ण परमहंस का निधन।
  • 31 May 1893 Mumbai to USA मुम्बई से अमरीका रवाना
  • 30 July 1893 में शिकागो आगमन
  • August 1893 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रो॰ जॉन राइट से भेंट
  • 19 Feb 1897 कलकत्ता आगमन
  • 4 July 1902 महासमाधि

Swami Vivekananda Biography in Hindi Wikipedia

दोस्तों अगर आपको हमारे द्वारा लिखा गया ये आर्टिकल Swami Vivekananda Biography in Hindi पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों में शेयर करना ना भूले…

स्वामी विवेकानंद जी के जीवन परिचय के बारे में आप अन्य भाषा में यहाँ जानकारी पा सकते है अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

इसे भी पढ़ें: – 

राष्ट्रपति और महान बैज्ञानिक डॉक्टर कलाम की जीवनी
प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनन्दन ठाकुर की जीवनी
मुरारी बापू का जीवन परिचय
योग गुरु बाबा रामदेव का जीवन परिचय

Swami Vivekananda Biography in Hindi से जुडी जानकारी आप को कैसे लगी ?

APJ Abdul Kalam Biography in Hindi – ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की जीवनी

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का परिचय – APJ Abdul Kalam Biography in Hindi –

APJ Abdul Kalam Biography in Hindi

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, एक विलक्षण व्यक्तित्व, महान बैज्ञानिक, राजनेता, मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति थे। (apj abdul kalam biography in hindi) उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुसलमान परिवार मैं हुआ था। उनके पिता का नाम जैनुलअबिदीन था, जो की एक नाविक थे और उनकी माता अशिअम्मा एक गृहणी थीं।

उनके परिवार की स्थिति अच्छी नहीं थी जिसके चलते उनको बचपन से ही काम करना पड़ा, पिता की आर्थिक मदद के लिए बालक कलाम स्कूल के बाद समाचार पत्र वितरण का काम करते थे। स्कूली शिक्षा के समय से ही कलाम पढाई-लिखाई में सामान्य थे पर नयी चीज़ सीखने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे।

उनके अन्दर सीखने की भूख थी और वो पढाई पर घंटो ध्यान देते थे, उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा “रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल” से पूरी की और बाद में वे तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिए जहाँ से उन्होंने सन 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया, उसके उपरान्त वो (1955) में मद्रास चले गए। जहाँ उन्होंने “एयरोस्पेस इंजीनियरिंग” की शिक्षा ग्रहण की, 1960 में कलाम साहब ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी कर ली।

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ऐसे ब्याक्तित्व के ब्यक्ति थे जिनको सभी लोग प्यार करते है, आज वो इस दुनिया में नहीं है फिर भी उनको लोग बहुत याद करते है उनको भारत का मिसाइलमैन भी कहा जाता है आज उनके नाम से भारत में कई तरह के एजुकेशनल इंस्टिट्यूट भी बनाये गए है जो उनके महान ब्यक्तित्व को चिन्हित करता है। कलाम साहब एक महान ब्याक्तित्व के बैज्ञानिक एवं राजनेता थे। कलाम साहब का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम था। उनको लोग कलाम के नाम से ज्यादा जानतें थे।

कलाम साहब के बारे में इंग्लिश में पढ़ने ले लिए यहाँ क्लिक करें – A. P. J. Abdul Kalam

APJ अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश के प्रतिष्ठित संस्थान डीआरडीओ और इसरो (DRDO & ISRO) में भी काम किया था। उनको लोग एक बहुत ही अच्छा बैज्ञानिक मानते थे साथ में एक अच्छा और जनता का राष्ट्रपति भी। उन्होंने 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ कलाम अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम (Missile Development Program) के साथ भी जुड़े थे। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है। 2002 में कलाम साहब को देश का 11वां राष्ट्रपति चुना गया। राष्ट्रपति का कार्यकाल ख़त्म होने के बाद वो शिक्षण, लेखन, और सार्वजनिक सेवा में लौट आए। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

APJ Abdul Kalam (Biographical Sketch Information) Hindi –

अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम मसऊदी अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम मसऊदी 1970 और 1980 के दशक में अपने कार्यों और सफलताओं से भारत में बहुत प्रसिद्द हो गए थे। एक नजर कलाम साहब के बारे में…

नाम – अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम मसऊदी अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम मसऊदी
जन्म – 15 अक्टूबर , 1931
मृत्यु – 27 जुलाई, 2015, शिलोंग, मेघालय
धर्म – इस्लाम
जन्म स्थान – रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत
माता पिता – आशियम्मा जैनुलाब्दीन
शिक्षा – सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
पेशा – प्रोफेसर, लेखक, वैज्ञानिक एयरोस्पेस इंजीनियर
राष्ट्रपति – 25 जुलाई 2002 – 25 जुलाई 2007
पद/कार्य – भारत के पूर्व राष्ट्रपति
वेबसाइट – http://www.abdulkalam.com/

APJ Abdul Kalam वैज्ञानिक जीवन –

  • 1972 में कलाम साहब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े।
  • कलाम साहब परियोजना महानिदेशक के रूप में पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाया।
  • 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था।
  • कलाम साहब 1980 के बाद अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गये।
  • ISRO लॉन्च व्हीकल Program को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है।
  • कलाम साहब ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया था।
  • इन्होने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था।
  • कलाम साहब July 1992 से Dec 1999 तक Defence Minister के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव भी रहे।
  • इन्होने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता में भी अपना बहुत अधिक योग्यदान दिया था।
  • कलाम ने भारत के विकास स्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक बनाने के लिए कई प्रयास किये।
  • भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे।
  • सन 1982 में कलाम साहब भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आये।
  • उन्होंने “गाइडेड मिसाइल” का भी विकास किया।
  • अग्नि मिसाइल और पृथ्वी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय भी काफी हद तक उन्हीं को जाता है।
  • July 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुये, उनकी देख रेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।

APJ Abdul Kalam भारत के राष्ट्रपति के रूप में –

  • एपीजे अब्दुल कलाम ने 25 July 2002 को भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किया।
  • राष्ट्रपति भवन में जाने वाले देश के पहले बैज्ञानिक और पहले स्नातक बने।
  • अपने 5 साल के कार्यकाल के दौरान, वह भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलने के अपने दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध रहे।
  • युवा लोगों के साथ एक-से-एक बैठकें आयोजित करने उन्होंने उनको प्रेरित किया, जिसमे उनको सर्वश्रेष्ठ सफलता भी मिली।
  • समय के साथ उनको “जनवादी राष्ट्रपति” के रूप में जाना जाने लगा।
  • 2007 में, उन्होंने फिर से President चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति के रूप में पद छोड़ दिया।

APJ Abdul Kalam – पोस्ट प्रेसीडेंसी के रूप में

  • राष्ट्रपति का पद छोड़ने के बाद कलाम साहब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट शिलॉन्ग (IIM Shillong), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद (IIM Ahamdabad) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट इंदौर (IIM Indore) सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों में विजिटिंग प्रोफेसर बने।
  • राष्ट्रपति पद को छोड़ने के बाद कई वर्षों के बाद उनको अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी सिखाते हुए देखा गया उन्होंने BHU और अन्ना विश्वविद्यालय में भी प्रौद्योगिकी के बारे में लोगों को बताया। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान तिरुवनंतपुरम के चांसलर के रूप में भी कार्य किया।
  • वर्ष 2012 में, उन्होंने युवाओं में एक “देने” (“giving” attitude) के दृष्टिकोण को विकसित करने और छोटे लेकिन सकारात्मक कदम उठाकर उन्हें राष्ट्र निर्माण की दिशा में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ‘व्हाट कैन आई मूवमेंट’ नामक एक कार्यक्रम शुरू किया।

APJ Abdul Kalam पुरस्कार और उपलब्धियां –

  • कलाम साहब को भारत की ओर से पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया था, उन्होंने क्रमशः 1981, 1990 और 1997 के वर्षों में समान प्राप्त किया।
  • वर्ष 1997 में, उन्हें India Govt द्वारा राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • Next Year उन्हें भारत सरकार द्वारा वीर सावरकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • Alwar रिसर्च सेंटर, चेन्नई ने वर्ष 2000 में कलाम को रामानुजन पुरस्कार से सम्मानित किया।
  • वर्ष 2007 में कलाम साहब को रॉयल सोसाइटी, UK द्वारा “किंग चार्ल्स मेडल” से सम्मानित किया गया था।
  • वर्ष 2008 में, उन्होंने ASME फाउंडेशन, यूएसए द्वारा दिया गया हूवर मेडल जीता।
  • California इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूएसए (USA) ने कलाम को वर्ष 2009 में अंतर्राष्ट्रीय वॉन कर्मन विंग्स पुरस्कार से सम्मानित किया।
  • IEEE ने कलाम को वर्ष 2011 में IEEE मानद सदस्यता से सम्मानित किया।
  • कलाम 40 विश्वविद्यालयों (Universities) के मानद डॉक्टरेट के गौरव प्राप्त करने वाले थे।
  • इसके अतरिक्त संयुक्त राष्ट्र द्वारा कलाम के 79 वें जन्मदिन को विश्व छात्र दिवस के रूप में मान्यता दी गई थी।
  • कलाम साहब को वर्ष 2003 और 2006 में MTV यूथ आइकॉन ऑफ़ द ईयर अवार्ड के लिए नामांकित किया गया था।
कलाम साहब द्वारा लिखी गई पुस्तकें – जो पूरी दुनिया के लोग पढ़ते है –

Wings Of Fire, India 2020 – ‘इण्डिया 2020 ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम’, तथा ‘इग्नाटिड माइंड्स– अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’।

दोस्तों अगर आपको हमारे द्वारा लिखा गया ये आर्टिकल APJ Abdul Kalam Biography in Hindi पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों में शेयर करना ना भूले इसे शेयर जरूर करें…

(1350 Words)

Related Searches – 

apj abdul kalam biography in hindi
apj abdul kalam biography in hindi language
apj abdul kalam biography in hindi short
apj abdul kalam biography in hindi essay