Mangal Pandey Ka Parichay (Hindi Biography) – मंगल पांडे का सम्पूर्ण जीवन परिचय व क्रांतिकारी मंगल पाण्डेय का जीवन परिचय व इतिहास Mangal Pandey biography History in hindi
Mangal Pandey Ka Parichay –
मंगल पांडे भारत के एक महान क्रांतिकारी सैनिक, स्वतन्त्रा सेनानी थे, इनका जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे था, तथा माता का नाम श्रीमती अभय रानी था। मंगल पांडेय पश्चिम बंगाल के कोलकाता में बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना के 1446 नंबर के सैनिक थे। इनके बारे में कहा जाता है कि यह भारत के प्रथम क्रांतिकारी के रूप में विख्यात थे। महज 30 साल की उम्र में इन्होने अपने जीवन को देश के नाम कुर्बान कर दिया था।
मंगल पाण्डेय का संछिप्त परिचय –
वास्तविक नाम – मंगल पाण्डेय
जन्म – 19 जुलाई 1827
जन्म स्थान – नगवा, बल्लिया, उत्तर प्रदेश
पिता का नाम – दिवाकर पांडे
माता का नाम – श्रीमती अभय रानी
म्रत्यु- 8 अप्रैल 1857 को फांसी पर लटकाए गए
प्रसिद्धि मिली थी – प्रथम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी
मंगल पांडेय ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिक थे।
अंग्रेजों के बढ़ते जुल्म को देख कर इन्होने आजादी के सपने देखे थे।
मंगल पाण्डेय और ब्रिटिश अफसर के बीच लड़ाई –
उस ज़माने की बात है जब मंगल पाण्डेय जवान हो रहे थे, उस समय भारत पर अंग्रेजों का काफी जुल्म बढ़ रहा था ऐसे में मंगल पांडेय ने देश को आजादी दिलाने की सपने देखने शुरू कर दिए थे, उसके बाद इन्होने “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना में भर्ती होने का फैसला किया और यह भर्ती भी हो गए इनको 1446 नंबर के सिपाही के रूप में भर्ती मिली।
उसी समय बंगाल की अंग्रेजी सेना में एक नई रायफल को लाया गया था, जिसका नाम था एनफ़ील्ड 53, इसमें कारतूस भरने के लिए रायफल को मुंह से खोलना पड़ता था, उसी समय यह अफवाह फैली की इस रायफल में गाय व् सूअर की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था, यही बात पूरी अंग्रेजी सेना में हड़कंप मचा दी थी। यही विवाद था जिसकी वजह थी की मंगल पांडेय ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की भावना को जन्म दिया था।
सूअर की चर्बी वाले राइफल का अंग्रेजी सेना में वितरण –
9 फ़रवरी 1857 का वो दिन जब पूरी सेना में एनफ़ील्ड 53 राइफल वितरित की गयी, उपयोग करना सिखाया जा रहा था उसी समय अंग्रेज अफसर ने इसे मुंह से लगाकर बताया तो मंगल पांडेय को यह बात रास नहीं आयी इस पर उनको अंग्रेज अफसर के गुस्से का सामना भी करना पड़ा था बाद में इस घटना के बाद पाण्डेयजी को सेना से निकालने का फैसला लिया गया। 29 मार्च 1857 को मंगल पांडेय की वर्दी व् रायफल वापस लेने का फैसला लिया गया था। बाद में उस समय के अंग्रेजी अफसर जनरल हेअरसेय उनकी तरफ आगे बढे थे तो मंगल पाण्डेय ने उन पर हमला बोल दिया था।
हमला बोलने के बाद मंगल पांडेय ने अपने साथियों से सहयोग के लिए बोला था मगर अंग्रेजी सेना एक डर से उनके एक भी साथी ने उनकी सहायता नहीं की बाद में पांडेय जी ने अफसर पर गोली चला दी, साथ में अफसर के एक बेटे बॉब जो सेना में ही था, उस पर भी गोली चला दी। इसके बाद इन्होने अपने उपर भी गोली चलायी थी, मगर तब तक अंग्रेजी सेना ने इनको पकड़ लिया था। जिसके बाद उनके पैरों में गोली लग गयी थी।
मंगल पाण्डेय को फांसी (Mangal pandey Death) –
इनसब घटनाओं ने अंग्रेजी शासन की नींद उड़ा दी थी, ऐसे में अंग्रेजों द्वारा मंगल पांडेय को हिरासत में रख लिया गया, जहाँ उनको ठीक होने में 1 सप्ताह लगा। मंगल पाण्डेय को अंग्रेजों ने कोर्ट मार्शल करने का फैसला सुनाया इसी बीच 6 अप्रैल 1857 को यह फैसला हुआ की 18 अप्रैल को उन्हें फांसी दी जाएगी। मगर अंग्रेजों में मन में यह दर बन गया था जिसकी वहज से उनको 18 की जगह 10 दिन पहले 8 अप्रैल को ही मंगल पाण्डेय को फांसी पर लटका दिया गया था।
पुरस्कार और सम्मान –
5 अक्टूबर 1984 को भारत सरकार ने मंगल पाण्डेय जी के सम्मान में एक पोस्टेज स्टाम्प चालू किया, जिसमें उनकी फोटो भी अंकित थी।
मंगल पाण्डेय के जीवन पर बनी फ़िल्में –
वर्ष 2005 में इनके जीवन पर आधारित दी रायसिंग स्टार फिल्म बनी थी, जिसमे बॉलीवुड स्टार आमिर खान ने मंगल पाण्डेय की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म को केतन मेहता ने डायरेक्ट किया था, जिसने फिल्म मांझीद माउंटेन मैन भी बनाई थी। वर्ष 2005 में ही हैदराबाद के एक सिनेमा में ‘दी रोटी रेबेलियन’ के नाम से मंगल पाण्डेय के जीवन की कहानी लोगों को दिखाई गई थी।
वर्ष 1857 की क्रांति में मंगल पाण्डेय को एक विद्रोही के रूप में सबके सामने रखा गया था। कारण अंग्रजों ने अपनी सरकार की छवि को ख़राब करना बताया था। Mangal Pandey Ka Parichay (Hindi Biography) से जुड़ी जानकारी आपको कैसी लगी?