Dalai Lama Biography in Hindi – दलाई लामा का सम्पूर्ण जीवन परिचय

By | August 30, 2021

इस पोस्ट में आप तिब्बत के प्रसिद्ध धर्मगुरु दलाईलामा के जीवन परिचय से जुड़ी जानकारी प्राप्त करेंगे, तो चलिए जानतें हैं कि कौन हैं तिब्बती गुरु दलाईलामा? (दलाई लामा का संबंध किस देश से है? दलाई लामा विकिपीडिया इन हिंदी, दलाई लामा का इतिहास, तिब्बत का पुराना नाम क्या है? तिब्बत का इतिहास, दलाई लामा भारत कब आया? dalai lama biography in hindi, wiki, age, family, niwas, books, website, youtube, social media & more)

Dalai Lama Biography in Hindi – जीवन परिचय

Dalai Lama Biography in Hindi

दलाईलामा का जन्म 6 जुलाई, 1935 को उत्तर-पूर्वी तिब्बत के ताकस्तेर क्षेत्र में रहने वाले ओमान परिवार में हुआ था। इनका पूरा नाम “दलाईलामा तेनजिन ग्यात्सो अथवा ‘दलाई लामा'” है। यह तिब्बत के राष्ट्राध्यक्ष और आध्यात्मिक गुरु हैं, और कई वर्षों से भारत के हिमाचल प्रदेश में रहते हैं, चीन से विवादों से रहने की वजह से यह तिब्बत बहुत कम ही जाते हैं, ज्यादातर समय यह देश विदेशों और भारत में बिताते हैं, यहीं से यह तिब्बत पर नजर रखते हैं, लोगों को मानना हैं की बहुत जल्द चीन तिब्बत को अपने कोप्चे में लेने वाला है, यही कारण है की दलाईलामा वहां ज्यादा नहीं रहते हैं, तिब्बती लोग इनकी बहुत सम्मान करते हैं, इसलिए आजतक चीन तिब्बत नहीं ले सका और इनके जीते जी तो नहीं ले पायेगा।

वास्तविक नाम – तेनजिन ग्यात्सो अथवा ‘दलाई लामा’
प्रसिद्ध नाम – तिब्बती गुरु दलाईलामा
दलाईलामा कौन हैं? तिब्बती राष्ट्राध्यक्ष और आध्यात्मिक गुरू।
जन्म – 6 जुलाई, 1935 को तिब्बत के इलाके में।
पिता का नाम – ज्ञात नहीं (किसान थे )
माता का नाम – ज्ञात नहीं
प्रोफेशन – धर्मगुरु

दलाईलामा की शिक्षा –

दलाईलामा के बारे में कहा जाता है कि इन्होने बौद्ध धर्म की शिक्षा ली है, इन्होने पूरी दुनिया में अपने धर्म के बारे में लोगों को बताया है, साथ में यह अपने आश्रम में लोगों को धार्मिक शिक्षा भी देते हैं। धर्म से जुड़ी काफी जानकारी रखते है तिब्बती गुरु, इनका सम्मान कई देशों में होता है, खासकर भारत और इसके पडोसी देशों में तो इनकी काफी प्रसिद्धि बनी है।

दलाईलामा ने अपनी मठवासीय शिक्षा छह वर्ष की अवस्था में प्रारंभ कर दी थी, बाद में जब यह 23 वर्ष की अवस्था में आये तो वर्ष 1949 इन्होने वार्षिक मोनलम ;प्रार्थनाद्ध उत्सव के दौरान जोखांग मंदिर, ल्हासा में अपनी फाइनल परीक्षा दी थी, यही ऑनर्स की परीक्षा के साथ पास करने के बाद इनको सर्वोच्च गेशे डिग्री ल्हारम्पा ; बौध दर्शन में पी. एच. डी. प्रदान की गई थी।

नेतृत्व का दायित्व –

बात वर्ष 1949 की है जब तिब्बत पर चीन के हमले के बाद परमपावन दलाई लामा से कहा गया कि वह पूर्ण राजनीतिक सत्ता अपने हाथ में ले लें और उन्हें दलाई लामा का पद दे दिया गया। चीन यात्रा पर शांति समझौता व तिब्बत से सैनिकों की वापसी की बात को लेकर 1954 में वह माओ जेडांग, डेंग जियोपिंग जैसे कई चीनी नेताओं से बातचीत करने के लिए बीजिंग भी गए थे। दलाई लामा के शांति संदेश, अहिंसा, धार्मिक मेलमिलाप, सार्वभौमिक उत्तरदायित्व और करुणा के विचारों को मान्यता के रूप में वर्ष 1959 से अब तक इनको 60 से ज्यादा मानद डॉक्टरेट, पुरस्कार, सम्मान मिले हैं।

शांति के लिए प्रयास –

21 सितंबर, 1987 को अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए दलाईलामा ने तिब्बत को शान्ति क्षेत्र के रूप में स्थापित करने के लिए पांच सूत्रीय शांति योजना के प्रस्ताव की बात रखी थी।

  • पूरे तिब्बत के इलाके को शांति क्षेत्र में परिवर्तित किया जाए।
  • चीन के बारे में इन्होने कहा था की कि चीन उस जनसंख्या स्थानान्तरण नीति का परित्याग करे जिसके द्वारा तिब्बती लोगों के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो रहा है।
  • तिब्बती लोगों के बुनियादी मानवाधिकार और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए।
  • तिब्बत के प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण व पुनरूद्धार किया जाए, तथा इसमें नाभिकीय हथियारों के निर्माण व नाभिकीय कचरे के निस्तारण स्थल के रूप में उपयोग करने की चीन की निति पर रोक लगे।
  • तिब्बत की भविष्य की स्थिति और चीनी लोगों के सम्बंधो के बारे में गंभीर बातचीत शुरू की जाए।

इतने सारे प्रयासों के बाद भी इस्थिति में अभी तक कोई सुधार देखने को नहीं मिला, फिर भी दलाईलामा लगे हैं तिब्बत को चीन से बचाने में।

दलाई लामा की लोकप्रियता –

बताया जाता है कि हर तिब्बती का दलाईलामा से शुरू से ही गहरा व अकथनीय जुड़ाव रहा है, इनके एक जबान पर तिब्बती लोग मरने – मारने पर उतारू हो जाते हैं। यही कारण है की आज तक तीन तिब्बत को पूरी तरह से कब्ज़ा नहीं पाया है। चीन भले ही दावा करता है कि तिब्बत उसका है मगर आज भी वो कुछ कर नहीं पाया है बस परेशान करता रहता है तिबतियों को। तिब्बत की मुक्ति के लिए अहिंसक संघर्ष जारी रखने हेतु तिब्बती गुरु दलाई लामा को वर्ष 1989 का नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था।

शांति, अहिंसा और हर सचेतन प्राणी की खुशी के लिए कार्य करना परमपावन दलाईलामा के जीवन का बुनियादी सिद्धांत रहा है जिसकी वजह से यह तिब्बतियों में काफी लोकप्रिय रहे हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि यह अभी तक लगभग ५२ से अधिक देशों का दौरा कर चुके हैं जिसमे इन्होने कई प्रमुख देशों के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और शासकों से मिले हैं। कई धर्म के प्रमुखों और कई प्रमुख वैज्ञानिकों से भी इनकी मुलाकात हुई है। यह इनकी महानता है कि यह अपने आपको एक साधारण बौध भिक्षु ही मानते हैं। दुनिया भर की यात्राओं और व्याख्यान के दौरान उनका साधारण व करूणामय स्वभाव ही उनको एक महान धर्मगुरु बनाता है।

Note: इनकी निर्वासित सरकार का मुख्यालय हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला शहर (जिसे मिनी ल्हासा के नाम से जाना जाता है) में है, जहां वह 1960 से बराबर रह रहे हैं।

रोचक जानकारी – (Dalai Lama Biography in Hindi)

  • दलाईलामा शब्द एक मंगोलियाई पदवी है जिसका मतलब होता है ज्ञान का महासागर।
  • इनके बंशज अवलोकेतेश्वर के बुद्ध थे जो बुद्ध के गुणों के साक्षात रूप माने जाते थे।
  • वर्ष 1984 में दलाईलामा के एक पुस्तक ‘काइंडनेस, क्लेरिटी एंड इनसाइट’ प्रकाशित हुई।
  • जब इनको विश्व-शांति का ‘नोबेल पुरस्कार’ दिया गया, था तो उस समय चीन भौचंगा रहा गया था।
  • तिब्बती गुरु ‘लियोपोल्ड लूकस पुरस्कार’ से भी सम्मानित हो चुके हैं।
  • यह तिब्बती जनता के चौदहवें धर्मगुरु हैं।
  • तिब्बत में लोग इनको भगवान् की तरह मानतें हैं।
  • 1963 में परमपावन दलाई लामा ने तिब्बत के लिए एक लोकतांत्रिक संविधान का प्रारूप प्रस्तुत किया।
  • वर्ष 1992 में परमपावन दलाई लामा ने यह घोषणा की कि जब तिब्बत स्वतंत्र हो जाएगा, मगर ऐसा अभी तक नहीं हो पाया।
  • निर्वासन के बाद Dalai Lama दलाई लामा 80,000 तिब्बती शरणार्थी के साथ भारत आये थे।

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