Rani Lakshmibai Biography in Hindi – रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी

By | September 25, 2020

Rani Lakshmibai Biography in Hindi – 1957 के स्वतन्त्रा संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवम्बर 1835 को वाराणसी जिले के भदैनी नामक नगर में हुआ था। बचपन में इनका नाम मणिकर्णिका था, मगर प्यार से लोग इनको मनु के नाम से पुकारते थे। इनके पिता का नाम मोरोपन्त तांबे था, और माँ का नाम भागीरथीबाई था। इनके पिता मराठा बाजीराव की सेवा में थे, माता भागीरथीबाई एक सुसंस्कृत, बुद्धिमान एवं धार्मिक महिला थी।

जब मनु चार की थी, तो इनकी माता का मृत्यु हो गयी थी, घर में मनु की देखभाल के लिए कोई नहीं था, जिसकी वजह से इनके पिता इनको बाजीराव के दरबार में ले गये थे, जहाँ इनके चंचल एवं सुन्दर स्वाभाव ने सभी का मन मोह लिया था। काफी दिनों तक लक्ष्मीबाई (मनु) बाजीराव के दरबार में ही रही, उसके बाद यह झाँसी आयी थी।

बाजीराव के दरबार में लोग मनु को “छबीली” कहकर बुलाने लगे थे। रानी लक्ष्मी बाई बचपन से ही शास्त्रों की शिक्षा ले ली थी। समय के साथ रानी लक्ष्मी बाई बड़ी होती गयी, वर्ष 1842 में इनका विवाह झाँसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव निम्बालकर के साथ हुआ, जिसके बाद इनको लोग झाँसी की रानी के नाम से जानने लगे।

सन् 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया दुर्भाग्य बस चार महीने की आयु में ही उसकी मृत्यु हो गयी। सन् 1853 में राजा गंगाधर राव का स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ जाने पर उन्हें दत्तक पुत्र लेने की सलाह दी गयी। पुत्र गोद लेने के बाद 21 नवम्बर 1853 को राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गयी।

Rani Lakshmibai Biography in Hindi – संछिप्त परिचय

Rani Lakshmibai Biography in Hindi

  • वास्तविक नाम – राणी लक्ष्मीबाई गंगाधरराव
  • बचपन का नाम – मणिकर्णिका
  • प्यार से बुलाने वाला नाम – मनु, छबीली
  • पिता का नाम – श्री. मोरोपन्त
  • माता का नाम – भागीरथी
  • जन्म – 19 नवम्बर, 1835 वाराणसी
  • जन्म स्थान – वाराणसी, उत्तर प्रदेश
  • पति – मराठा शासित राजा गंगाधर राव निम्बालकर
  • दत्तक पुत्र – दामोदर राव
  • कार्यक्षेत्र – 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की वीरांगना
  • मृत्यु – 18 जून 1858, कोटा की सराय, ग्वालियर

रानी लक्ष्मीबाई का विवाह –

वर्ष 1942 में रानी लक्ष्मीबाई का विवाह बहुत ही धूमधाम से गंगाधर राव निवालकर के साथ हुआ था। इसके बाद काशी की कन्या मनु, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई बन गयी। समय के साथ पति की मृत्यु के बाद जनरल डलहौजी ने दामोदर राव को को झांसी का उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर दिया था। लक्ष्मीबाई ये कैसे सहन कर सकती थीं। उन्होने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध का बिगुल बजा दिया और घोषणा कर दी कि मैं अपनी झांसी अंग्रेजों को नही दूंगी।

बचपन से ही रानी लक्ष्मीबाई को घुड़सवारी करने का शौक रहा, उनके पास उनके पास बहुत सारे जाबाज़ घोड़े भी थे जिनमे उनके पसंदीदा घोड़े सारंगी, पवन और बादल शामिल थे। इनके घोड़े के बारे में कहा जाता है की 1858 के समय किले से भागते समय बादल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जिसमे रानी लक्ष्मीबाई रहती उस किले को बाद में एक म्यूजियम में बदल गया था,  जिसमे 9 से 12 वी शताब्दी की पुरानी पुरातात्विक चीजो का समावेश किया गया है, जो आज भी झाँसी उत्तर प्रदेश में है लोग इसको देखने के लिए जाते है।

रानी लक्ष्मीबाई का 1857 की स्वतन्त्रता संग्राम में सफर

लक्ष्मी बाई भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (वर्ष 1857) में अंग्रेजी हुकुमत के विरुद्ध बिगुल बजाने वाले वीरों में से एक थीं। यह भारत की एक ऐसी वीरांगना थीं जिन्होंने महज 23 वर्ष की आयु में ब्रिटिश साम्राज्य की सेना से मोर्चे लिए थे। इनके जीते जी अंग्रेजों में झांसी पर जीत हासिल नहीं कर पाए थे।

लक्ष्मी बाई ने अंग्रेजी हुकुमत से बहुत संघर्ष किया और अपने देश की रक्षा के लिए रणक्षेत्र में वीरगति को प्राप्त हो गयीं। इनके जीते अंग्रेज लोग इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाए थे।

7 मार्च, 1854 को ब्रिटिश सरकार ने एक सरकारी गजट जारी किया, था जिसमे उन्होंने झाँसी को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलने का आदेश दिया, मगर उनके इस प्रस्ताव को रानी ने ठुकरा दिया, उन्होंने साफ़ मना कर दिया की उनके जीते जी कोई भी ऐसा नहीं कर सकता है।

रानी लक्ष्मी बाई की अपनी भी एक बड़ी सेना थी, जिसमे गुलाम खान, दोस्त खान, खुदा बक्श, सुन्दर – मुन्दर, काशी बाई, लाला भाऊ बक्शी, मोतीबाई, दीवान रघुनाथ सिंह और दीवान जवाहर सिंह जैसे बड़े – बड़े योद्धा हुआ करते थे। बताया जाता है की उस समय लक्ष्मी बाई की सेना में 14 से 15 हजार सैनिक हुआ करते थे।

अंत में यही कहेगे की रानी लक्ष्मी बाई हमारे देश की एक ऐसी वीरांगना थी, जिन्होंने अपनी वीरता और साहस से अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए थे। इनको जीवन के ऊपर एक फिल्म भी बनी है जिसका नाम मणिकर्णिका है जो अभी हाल ही में रिलीज़ हुई है, इसमें बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री कंगना राणावत ने मुख्य भूमिका निभाई है।

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