वैसे कहा जाता है की दुनिया में लोग अपने लिए जीते है, मगर कुछ लोग ऐसे भी होते है जो दूसरों के लिए जीते है उन्हीं में से एक थी मदर टेरेसा जिनका जन्म 26 अगस्त, 1910, स्कॉप्जे, (मेसेडोनिया गणराज्य – अब मेसीडोनिया में) हुआ था। इनके पिता का नाम निकोला बोयाजू था, जो एक साधारण व्यवसायी थे। इनकी माता का नाम द्राना बोयाजू था, मदर टेरेसा (mother teresa ki jivani) का वास्तविक नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ था। जब टेरेसा 8 साल की थी तभी उनके पिता का देहांत हो गया सारी जिम्मेदारी उनकी माता पर आ गयी। टेरेसा पांच भाई बहनों में सबसे छोटी थी। कहा जाता है कि मदर टेरेसा एक सुन्दर, अध्ययनशील एवं परिश्रमी लड़की थीं। पढाई के साथ – साथ इन्हें गाना बेहद पसंद था। कहा जाता है टेरेसा (mother teresa biography in hindi) को बचपन से ही लोगों की सेवा करना बहुत पसंद था इसलिए वो बड़ी होकर लोगों की सेवा का काम करना चाहती थी।
Mother Teresa Biography in Hindi –
जन्म – 26 अगस्त 1910 उस्कुब, उस्मान साम्राज्य (आज का सोप्जे, मेसीडोनिया)
पिता का नाम – निकोला बोयाजू
माता का नाम – द्राना बोयाजू
कार्य – मानवता की सेवा, ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना
मृत्यु – 5 सितम्बर 1997 (उम्र 87) कोलकाता, भारत
भारतीय नागरिकता – (1948–1997)
सम्मान और पुरस्कार – पद्मश्री (1962), भारत रत्न (1980), संयुक्त राज्य अमेरिका 1985 मेडल आफ़ फ्रीडम, 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार
नोबेल पुरस्कार की 192,000 डॉलर की धन-राशि को गरीबों एक फण्ड के तौर दान
व्यवसाय – रोमन केथोलिक नन
09 सितम्बर 2016 को वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत की उपाधि से विभूषित किया। (wikipedia)
मदर टेरेसा (mother teresa jivani) 12 साल की उम्र में ही यह सोचने लगी थी की वो बड़ी होकर लोगों की सेवा करेंगे जब वो 18 वर्ष की हो गयी तब उन्होंने सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो’ में शामिल होने का फैसला ले लिया। उसके पश्चात वो आयरलैंड चली गयी जहाँ उन्होंने अंग्रेजी भाषा सीखी। अंग्रेजी सीखना इसलिए जरुरी था क्योंकि ‘लोरेटो’ की सिस्टर्स इसी माध्यम में बच्चों को भारत में पढ़ाती थीं।
मदर टेरेसा का भारत आगमन –
भारत आने से पूर्व उन्होंने ने अपना नाम मदर टेरेसा से बदलकर केवल टेरेसा कर दिया था 6 जनवरी, 1929 को सिस्टर टेरेसा आयरलैंड से कलकत्ता में ‘लोरेटो कॉन्वेंट’ पंहुचीं। वह एक बहुत ही अच्छी टीचर थी लोग उनसे बहुत प्यार करते थे वर्ष 1944 में वह अपने वहां की हेडमिस्ट्रेस बन गईं। उस समय उन्होंने पाया की उनके आस पास फैली गरीबी, दरिद्रता और लाचारी लोगों के लिए बहुत बड़ी समस्या बनी है। जिसको ठीक करने के बारे में वो सोचने लगी थी तभी वर्ष 1943 अकाल के कारण वहां बहुत सारे लोगों की मौत हो गयी, इस घटना से टेरेसा को बहुत दुःख हुआ, वर्ष 1946 के हिन्दू-मुस्लिम दंगों ने तो कोलकाता शहर की स्थिति और भयावह बना दी। इनसब से मदर टेरेसा को बहुत दुःख हुआ।
मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी – (1946)
सन 46 में मदर टेरेसा ने गरीबों, असहायों, बीमारों और लाचारों की जीवनपर्यांत मदद करने का पूरा मन बना लिया था। इसके बाद टेरेसा ने पटना के “होली फॅमिली हॉस्पिटल” से आवश्यक नर्सिग ट्रेनिंग (Nursing Training) पूरी की और 1948 में वापस कोलकाता आ गईं। उसके बाद वो सबसे पहले तारतल्ला गयी जहाँ वो गरीब बुजुर्गो की देखभाल करने वाली संस्था के साथ रहीं। वहां वो मरीजों के घावों को ठीक किया, उनकी सेवा किया और भी बहुत सारे जीवन रक्षक कार्य उन्होंने किया। धीरे – धीरे उनके कामों को लोगों ने अच्छा बताया लोगों में उनकी खयति और भी बढ़ने लगी पूरा भारत उनके बारे में जानने लगा था यहाँ तक की देश के प्रधानमंत्री भी उनके सेवा से बहुत खुश थे।
उन दिनों मदर टेरेसा के काम को देश के बड़े – बड़े अधिकारी मंत्री नेता, आम जनता सभी लोग पसंद करने लगे थे लोकप्रियता ऐसे बढ़ रही थी की टेरेसा भी समझ नहीं पा रही थी वो कहती थी शुरुवाती समय में ये काम इतना आसान नहीं था, इसके लिए वो लोरेटो छोड़ चुकी थीं 7 अक्टूबर 1950 को उन्हें वैटिकन से ‘मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी’ की स्थापना की अनुमति मिल गयी। इसके बाद उन्होंने इसका विस्तार पूरी दुनिया में किया। ‘मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी’ का आरम्भ मात्र 13 लोगों के साथ हुआ था।
‘मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी’ का उद्देश्य भूखों, बेघर, लंगड़े-लूले, अंधों, चर्म रोग से ग्रसित और ऐसे लोगों की सहायता करना था जिनके लिए समाज में कोई जगह नहीं थी। बाद में मदर टेरेसा ने ‘निर्मल हृदय’ और ‘निर्मला शिशु भवन’ के नाम से आश्रम खोले। जिसमे असाध्य बीमारी से पीड़ित रोगियों व गरीबों का सेवा करना था।
मदर टेरेसा की मृत्यु – (Mother Teresa Biography in Hindi)
बढ़ती उम्र के साथ टेरेसा का स्वस्थ बिगड़ता गया, वर्ष 1983 में 73 वर्ष की आयु में उन्हें पहली बार दिल का दौरा पड़ा। उस समय मदर टेरेसा उस समय मदर टेरेसा रोम में पॉप जॉन पॉल द्वितीय से मिलने के लिए गई थीं। वर्ष 1989 में उन्हें दूसरा हृदयाघात आया उसके साथ उनको वर्ष 1991 में मैक्सिको में न्यूमोनिया हो गया था जिससे उनकी ह्रदय की परेशानी और बढ़ गयी। उसके बाद उनकी सेहद और ख़राब होती गयी, 13 मार्च 1997 को उन्होंने ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ के मुखिया का पद छोड़ दिया और 5 सितम्बर, 1997 को उनकी मौत हो गई।
मदर टेरेसा की मृत्यु के समय तक ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ में 4000 सिस्टर और 300 अन्य सहयोगी संस्थाएं काम कर रही थीं जो जो पूरी दुनिया के 123 देशों में समाज सेवा में कार्यरत थीं। मदर टेरेसा को पोप जॉन पाल द्वितीय ने 19 Oct 2003 को रोम में “धन्य” घोषित किया।
मदर टेरेसा के अनमोल विचार
- टेरेसा ने कहा था की आप अपने पड़ोसी के बारे में चिंतित रहें।
- हमें एक दूसरे से अच्छे संबध रखने चाहिए।
- अगर आप सौ लोगों को भोजन नहीं करवा सकते हो तो कम से कम एक लोग को तो करवा सकते हो।
- यदि आप प्रेम संदेश सुनना चाहते हैं तो पहले उसे खुद भेजें। जैसे एक चिराग को जलाए रखने के लिए हमें दिए में तेल डालते रहना पड़ता है।
- मदर टेरेसा के बिचार में अकेलापन सबसे भयानक ग़रीबी है।
- अपने क़रीबी लोगों की देखभाल कर उसमे प्रेम की अनुभूति का आनंद ले।
- अकेलापन और अवांछित रहने की भावना सबसे भयानक ग़रीबी है।
- प्रेम हर मौसम में होने वाला फल है।
- समाज की सबसे बड़ी बीमारी कुष्ठ रोग या तपेदिक नहीं है, बल्कि अवांछित रहने की भावना है।
- प्रेम की भूख को मिटाना, रोटी की भूख मिटाने से कहीं ज्यादा मुश्किल है।
- सादगी से जीयें ताकि दूसरे भी जी सकें।
- आप महान कार्य नहीं कर सकते लेकिन आप कार्यों को प्रेम से कर सकते हैं।
- हम सभी ईश्वर के हाथ में एक कलम के सामान है।
- खूबसूरती हमेशा अच्छी नहीं होती मगर खूबसूरत लोग हमेशा अच्छे होते हैं।
- मदर टेरेसा को देश दुनिया के मशहूर नेता, जैसे नेल्सन मंडेला, महात्मा गाँधी…?
Mother Teresa Biography in Hindi – मदर टेरेसा का जीवन परिचय से जुडी जानकारी आप को कैसे लगी? मदर टेरेसा के बारे में इंग्लिश में (Mother Teresa Biography in English) यहाँ पढ़ें