इस जीवनी लेख में आप भारत के प्रतापी राजा महाराणा प्रताप के जीवन परिचय (Maharana Pratap Ki Jivani) से जुड़ी जानकारी प्राप्त करेंगे, तो चलिए जान लेते हैं की कौन थे महाराणा प्रताप? वैसे तो भारत हमेशा से ही राजा महाराजओं की भूमि रही हैं, यहाँ एक से बढ़कर एक राजा हुआ करते थे, इसी कड़ी में एक राजा महाराणा प्रताप भी थे जिनके बारे में कहा जाता है की वो मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किये थे।
महाराणा प्रताप से जुड़े सवाल जो इंटरनेट पर हमेशा सर्च किये जाते हैं
महाराणा प्रताप कौन थे ?
महाराणा प्रताप का जन्म कहाँ हुआ था?
राणा प्रताप के घोड़े का नाम क्या था?
महाराणा प्रताप कैसे मरे?
महाराणा प्रताप और अकबर की कहानी?
महाराणा प्रताप की कितनी बिवी थी?
जीवन परिचय –
महाराणा प्रताप का जन्म 09 मई 1540 को उदयपुर के मेवाड में शिशोदिया राजवंश में हुआ था। इनके पिता का नाम राणा उदय सिंह था, और माता का नाम महाराणी जयवंता कँवर था, जो पाली के राजा सोनगरा अखैराज की बेटी थीं। महाराणा जी को बचपन में लोग कीका के नाम से पुकारा करते थे। बचपन से ही महाराणा प्रताप साहसी, वीर, स्वाभिमानी एवं स्वतंत्रताप्रिय थे। इनका राज्याभिषेक गोगुन्दा में हुआ था।
Maharana Pratap Ki Jivani – संछिप्त परिचय
वास्तविक नाम – महाराणा प्रताप
बचपन का नाम – कीका
जन्म – 09 मई 1540 कुम्भलगढ़ दुर्ग में
पिता का नाम – महाराजा राणा उदय सिंह
माता का नाम – जैवन्ताबाई
कहाँ के राजा थे – मेवाड़ के
जीवन में – मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष
घोड़े का नाम – चेतक
युद्ध लड़े थे – हल्दी घाटी का
तलवार चलाने में माहिर थे राणाप्रताप
युद्ध के समय इन्होने पहाङों और जंगलों में जीवन बिताया था।
महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक –
राणाप्रताप ने अपने पिता की अंतिम इच्छा के अनुसार अपने सौतेले भाई जगमाल को राजा बनाने का निश्चय किया था, मगर मेवाड़ के विश्वासपात्र चुंडावत राजपूतो ने जगमाल को सिंहासन बैठना गलत बताया जिसकी वजह से जगमाल को राजगद्दी छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया गया था। बाद में जगमाल बदला लेने के लिए अजमेर जाकर अकबर की सेना में शामिल हो गया, बदले में उसको जहाजपुर की जागीर मिली थी।
उसी दौर में मेवाड़ के 54वे शासक के रूप में महाराणा प्रताप मेवाड़ का राजा बनते हैं, उस समय दिल्ली पर अकबर का शासन चल रहा था। अकबर की निति थी की वो अपनी शक्ति से हिन्दू राजाओ का जीत ले, 1567 में जब राजकुमार को उत्तराधिकारी बनाया गया था तब इनकी उम्र महज 27 वर्ष ही थी, उस समय मुगल सेनाओ ने चित्तोड़ को चारो से घेरा हुआ था। बाद में महाराणा प्रताप ने मुगलों से संघर्ष करके इसको सही किया था।
महाराणा प्रताप के बारे में कहा जाता है की इन्होने आजीवन विशाल मुग़ल सेनाओ से संघर्ष किया था।
हल्दीघाटी का युद्ध:
1576 में हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप ने 20,000 राजपूतों के साथ मुगल सरदार राजा मानसिंह के 80,000 सैनिकों का सामना किया था। शत्रु सेना बुरी तरह से घिर चुके महाराणा प्रताप को झाला मानसिंह ने आपने प्राण दे कर बचाया था, और युद्ध भूमि छोड़ने के लिए बोला था।
18 जून 1576 को लगभग 4 घंटों के लिए ही मेवाड और मुगलों में घमासान युद्ध हुआ था। इतने में ही कई हजार सैनिक मारे गए थे। हल्दीघाटी के युद्ध में किसी की विजय नहीं हुई परन्तु देखा जाय तो महाराणा प्रताप की ही विजय मानी जाती है। छोटी सेना के साथ होने के बावजूद महाराणा ने अकबर की विशाल सेना के छक्के छुड़ा दिए थे।
रोचक जानकारी –
- महाराणा प्रताप भारत के एक प्रतापी राजा थे।
- इतिहास इनकी वीरता और दृढ प्रण को हमेशा याद रखेगा।
- राणा प्रताप की लम्बाई साढ़े सात फुट और उनका वजन 110 किलो था।
- इतिहास में यह एकमात्र ऐसे योद्धा थे, जो युद्ध में 200 किलोग्राम से भी ज्यादा का वजन उठाए लड़ते थे।
- 19 जनवरी 1597 को चावंड में महाराणा प्रताप की मृत्यु हुई थी, (कारण: शिकार के दौरान लगी चोट )
- इनका घोड़ा चेतक, इतिहास में काफी प्रसिद्ध रहा है, हल्दीघाटी में आज भी इसका मंदिर है।
Maharana Pratap Ki Jivani आपको कैसी लगी ?