Lal Krishna Advani Biography Hindi – जब भी राजनीति की बात होती है, तो अटल बिहारी बाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी की बात जरूर होती है, बीजेपी पार्टी को बनाने में इन दोनों नेताओं का बहुत ही महत्वपूर्ण योग्यदान रहा है। इस पोस्ट में आप Lal Krishna Advani History & Biography in Hindi से जुडी जानकारी प्राप्त करेंगे, तो चलिए शुरू करते है आडवाणी जी का जीवन परिचय।
लाल कृष्ण आडवाणी और एल. के. आडवाणी (L K Advani) का जन्म कराची के सिंधी परिवार में 8 नवम्बर 1927 को हुआ था। इनके पिताजी एक व्यापारी थे, जिनका नाम श्री किशनचंद आडवाणी था, माता का नाम श्रीमती ज्ञानी देवी था। इनका परिवार कराची प्रांत (अब पाकिस्तान) में रहता था, भारत-पाकिस्तान बँटवारे के बाद इनका परिवार मुंबई में आकर बस गया था।
लालकृष्ण आडवाणी अभी तक बीजेपी में ही है पहले बीजेपी पार्टी का नाम अलग था तब भी ये इसी पार्टी का हिस्सा रहे कभी पार्टी नहीं बदली। एक जमाना था जब आडवाणी भी बीजेपी के चर्चित चहरे हुआ करते थे, आज वो पार्टी में मार्गदर्शक के रूप में कार्यरत है, आडवाणी अब 91 वर्ष के हो चुके हैं, बताया जाता है की इस समय राजनीति में यह सबसे ज्यादा उम्र वाले नेता है।
Lal Krishna Advani Biography Hindi – संछिप्त परिचय
- नाम – लाल कृष्ण आडवाणी
- उपनाम – आडवाणी
- जन्म – 8 नवम्बर 1927 (92 Years)
- जन्म स्थान – कराची के सिंधी परिवार
- प्रोफेशन – राजनेता
- पार्टी – बीजेपी (BJP)
- पिता का नाम – स्वर्गीय किशनचंद आडवाणी
- माता का नाम – स्वर्गीय ज्ञानी देवी
- पत्नी का नाम – स्वर्गीय कमला देवी (मृत्यु का कारण – हृदयाघात)
- संतान – Pratibha Advani, Jayant Advani
- Net Worth (कुल सम्पति) – 7.59 Cr.
- सबसे ज्यादा उम्र के नेता
एल. के. आडवाणी शिक्षा (L K Advani Education) –
एल. के. आडवाणी ने अपनी स्कूली शिक्षा संत पेटरिक्स हाइ स्कूल, कराची (अब पाकिस्तान) से की थी, उसके बाद इन्होंने हैदराबाद के के. डी. जी. कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की, पाकिस्तान से भारत आने पर उन्होने मुंबई यूनिवर्सिटी के गवर्नमेंट लॉं कॉलेज से अपनी वकालत की पढ़ाई भी पूरी की थी, उसके बाद यह राजनीति में आये।
एल. के. आडवाणी का विवाह (L.K Advani Marrige) –
फ़रवरी1965 में में एल. के. आडवाणी का विवाह कमला देवी से हुआ था, इनकी दो संतानें है, जयंत आडवाणी और प्रतिभा आडवाणी है प्रतिभा आडवाणी टीवी सीरियल्स की निर्माता होने के साथ साथ अपने पिता की राजनैतिक क्रियाकलापों में सहायक के रूप में भी काम करती है, आडवाणी की पत्नी का हृदयाघात से अचानक अप्रैल 2016 में निधन हो गया था।
राजनीतिक कैरियर की शुरुआत (L K Advani Political Career) –
लाल कृष्ण आडवाणी ने अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1942 में राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) के स्वयंसेवी के रूप में की थी, यह एक हिन्दू संगठन है जिसके बारे में आप भी जानतें होगें। आडवाणी से सबसे पहले कराची में ही आर.एस.एस. के प्रचारक के रूप में काम किया, उस दौरान इन्होंने आरएसएस की कई शाखाएँ स्थापित की थी।
- भारत – पाकिस्तान के बांटवारे बँटवारे के बाद आडवाणी जी को राजस्थान के मत्स्य अलवाड़ की शाखा में भेज दिया गया था। वर्ष 1952 तक उन्होने अलवाड़ में काम किया बाद में यह राजस्थान के ही भरतपुर, कोटा, बूंदी, झालावाड़ जिले में कायर्रत हो गए।
भारतीय जनसंघ –
वर्ष 1951 में श्याम प्रसाद ने आरएसएस के साथ मिलकर भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी। आरएसएस के सदस्य होने के नाते आडवाणी भी जनसंघ से जुड़ गए। इनको राजस्थान में जनसंघ के श्री एस.एस.भण्डारी के सचिव के पद पर नियुक्त किया गया, आडवाणी ने वहां बहुत ही कुशल तरीके से काम किया, उनके कुशल नेत्रत्व के चलते ही उनको जल्द जनसंघ में जनरल सेक्रेटरी का पद भी मिल गया।
राजनीति में अपना कदम आगे बढ़ते देख आडवाणी ने वर्ष 1957 में दिल्ली की ओर रूख कर लिया था, वहाँ उन्हे दिल्ली के जनसंघ का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। फिर इन्होंने वर्ष 1967 में दिल्ली के महानगरीय परिषद चुनाव लड़े और काउंसिल के नेता बन गए। राजनीतिक गुण के साथ-साथ एल.के.आडवाणी में और भी कई प्रतिभाएँ थी जिसके चलते वर्ष 1966 में इन्होंने आर.एस.एस. की साप्ताहिक पत्रिका में संपादक श्री के.आर.मलकानी की भी मदद भी की थी।
राज्य सभा का सफर – (Lal Krishna Advani Biography Hindi)
बताया जाता है की राज्य सभा का सफर तय करने में लाल कृष्ण आडवाणी को 19 वर्ष लग गए, यह सबसे पहले वर्ष 1970 में राज्य सभा के सदस्य बने, उसके बाद इन्होने फिर जनसंघ के नेता के रूप में कई पद संभाले।
वर्ष 1973 में आडवाणी को कानपुर की कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था, अध्यक्ष के तौर पर उन्हें भारतीय जनसंघ के अनुभवी नेता बलराज माधव का कार्य ठीक नहीं था, उनको लगा था की बलराज माधव एक अनुभवी नेता होते हुए भी पार्टी के उसूलों के खिलाफ काम कर रहे हैं, जिससे पार्टी की छवि खराब हो रही है इसलिए उन्होने पार्टी के हित के लिए श्री बलराज को भारतीय जनसंघ से निष्कासित कर दिया।
वर्ष 1975 में इन्दिरा गांधी की सरकार के दौरान आपातकालीन स्थिति में कई विरोधी दल भारतीय जन संघ के साथ जुड़ गए एवं आपात कालीन स्थिति का विरोध भी किया था, इसी दौर में भारतीय जनता पार्टी का निर्माण हुआ था।
आडवाणी जी ने वर्ष 1976 से 1982 तक गुजरात से राज्य सभा के सदस्य रहे भी रहे , वर्ष 1977 में एल. के. आडवाणी ने अटल बिहारी वजपायी जी के साथ मिलकर लोक सभा के चुनाव भी लड़ा था।
जनता पार्टी से बीजेपी तक का सफर – (Lal Krishna Advani Biography Hindi)
वर्ष 1977 में समाजवादी पार्टी, स्वतंत्र पार्टी, लोक दल तथा जनसंघ ने मिलकर एक एक नए संगठन का निर्माण किया था, राजनीति में नेताओं का पार्टी का बदलना कोई नयी बाद नहीं है, इसी समय इंडियन नेशनल काँग्रेस के जगजीवन भी पार्टी बदल कर जनता पार्टी के गठबंधन में शामिल हो गए थे।
प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी का आपातकालीन शासन कई राजनीतिक पार्टियों को रास नहीं आ रहा था, जिसके कारण इन्दिरा गांधी चुनाव हार गयी और जनता पार्टी के हाथ सत्ता आ गयी , तब मोरारजी देसाई भारत के प्रधानमंत्री तथा आडवाणी सूचना एवं प्रसार मंत्री एवं श्री अटल बिहारी बाजपेयी विदेश मंत्री बने।
समय बीतने के साथ जनता पार्टी में एक नया मोड आया इसके कई दिग्गज एवं अनुभवी नेता जनता पार्टी छोड़ कर एक नयी पार्टी का निर्माण कर लिया, यही आगे चलकर “भारतीय जनता पार्टी” (भा.ज.पा.) कहलायी, आडवाणी इस नयी पार्टी के वशिष्ठ एवं महत्वपूर्ण नेता बन गए, बाद में लाल कृष्ण आडवाणी वर्ष 1982 में उच्च सदन (राज्य सभा) के लिए पार्टी द्वारा मध्य प्रदेश से मनोनीत हुए।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी का उदय) –
6 April 1980 को बीजेपी का जन्म हुआ, अटल बिहारी वाजपाई को नयी भारतीय जनता पार्टी के सबसे पहले अध्यक्ष के तौर पर चुना गया था। अटल की अध्यक्षता में पार्टी में हिन्दुत्व की भावना और अधिक बढ़ी, लेकिन वर्ष 1984 में बी.जे.पी. सरकार को अपनी सत्ता गवानी पड़ी।
वर्ष 1984 के चुनाव के कुछ समय पहले इन्दिरा गांधी की अचानक हत्या के बाद सभी वोट काँग्रेस को ही मिले और BJP को सिर्फ दो लोक सभा सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। बाद अटल बिहारी बाजपेयी को अध्यक्ष पद से हटा कर L.K आडवाणी को नया अध्यक्ष घोषित किया गया, लाल कृष्ण आडवाणी के नेत्रत्व में बीजेपी ने “राम जन्मभूमि” का मुद्दा उठाया था, अब तो राममंदिर बनने जा रहा है कुछ ही दिनों में इसका निर्माण कार्य भी शुरू होने वाला है।
वर्ष 1980 में विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने राम मंदिर निर्माण की मुहिम शुरू की थी, उस समय बीजेपी के कई नेता यह मानते थे कि अयोध्या श्री राम की जन्मभूमि है। यहाँ बाबरी मस्जिद के पहले राम मंदिर ही था, परंतु मुग़ल शासक बाबर ने उस मंदिर को तुडवा कर मंदिर की जगह मस्जिद का निर्माण करवाया था। इसी के विरोध में सभी हिन्दू तथा बीजेपी लीडर मस्जिद की जगह “राम मंदिर” बनवाना चाहते थे।
इस मुद्दे को बीजेपी ने चुनावी एजेंडा बनाया और इसका फायदा भी उठाया, जिसके चलते वर्ष 1989 के चुनाव के दौरान काँग्रेस को बहुमत मिलने पर भी उसने सेंट्रल में सरकार बनाने से इंकार कर दिया था। इसलिए VP सिंह की सरकार को बीजेपी ने अपनी 86 सीटों का समर्थन देकर नेशनल फ्रंट सरकार बनाने में हेल्प की थी।
एन.डी.ए. सरकार में गृहमन्त्री –
वर्ष 1996 के चुनाव के बाद बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभर कर सामने आई और उसने केंद्र में सरकार बनाने के लिए राष्ट्रपति की ओर से प्रस्ताव पेश किया, तब सबसे पहली बार अटल बिहारी वाजपाई ने मई 1996 में प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, दिलचस्प बाद यह रही की सरकार केवल 13 दिनों तक ही चल पायी, फिर वर्ष 1996 से 1998 तक दो अस्थिर सरकार (पहले एच.डी. देवेगौड़ा और बाद में आई.के.गुजराल) की सरकार ने शासन किया।
बाद में बीजेपी सरकार और अग्रसर होने लगी, कड़ी मेहनत के बाद वर्ष 1998 में बीजेपी फिर से सत्ता में आयी, जिसके बाद अटलजी को देश का प्रधानमन्त्री चुना गया। लेकिन 13 महीने के बाद जयललिता ने अपना समर्थन वापस ले लिया जिसके बाद इनकी सरकार गिर गयी।
लेकिन सरकार को वाजपाई जी ने अगले चुनाव तक संभाला और उनके साथ L.K आडवाणी को ग्रहमन्त्री बनाया, इसके बाद बीजेपी अपना पूरा कार्यकाल (2004 तक) पूरा किया इस दौरान आडवाणी के पद में उन्नति हुई और वे “भारत के उप-प्रधानमंत्री” बने।
आडवाणी पर आरोप (L K Advani controversy) –
- आडवाणी पर हवाला ब्रोकर्स से रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों के आभाव में उनको बाइज्जत बरी कर दिया था।
- जून 2005 में वे कराची के दौरे पर गए, जो कि उनका जन्मस्थान है, वहाँ उन्होने मोहम्मद अली जिन्नाह को एक धर्मनिरपेक्ष नेता बताया, इसको लेकर भी उनके ऊपर कई आरोप लगे।
प्रधानमंत्री पद की दावेदारी – (Lal Krishna Advani Biography Hindi)
वर्ष 2004 से 2009 तक विपक्ष के अध्यक्ष रहते हुए 2006 में आडवाणी ने एक News Channel को दिये, अपने इंटरव्यू में खुद को 2009 के चुनाव में प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार बताया था।
आडवाणी की रथ यात्राएं –
बताया जाता है की आडवाणी एक ऐसे नेता है जिन्होंने देश की राजनीति में सर्वाधिक यात्राएं निकालने का रिकॉर्ड बनाया है। इन्होंने अपने जीवनकाल में 6 बड़ी बड़ी यात्राओं का नेत्रत्व किया, इन सभी यात्राओं के सफल होने का श्रेय एल.के. आडवाणी को ही जाता है। आडवाणी को रथ यात्रा का नेता भी कहा जाता, इनके मुताबिक रथ यात्रा एक धार्मिक यात्रा होती है, जो देश के प्रति राष्ट्रीय धर्म को जगाती है।
- राम रथ यात्रा (25 सितम्बर 1990 से प्रारम्भ होकर 30 अक्टूबर तक)
- जनादेश यात्रा – (25 सितंबर 1993 भोपाल से)
- स्वर्ण जयंती रथ यात्रा (मई 1997 से जुलाई 1997 तक)
- भारत उदय यात्रा (2004 में अटल बिहारी की सरकार में)
- भारत सुरक्षा यात्रा (6 अप्रैल 2006 से 10 मई 2006 तक)
- जन चेतना यात्रा (अक्टूबर 2011)
राजनीति में बुरा दौर – (Lal Krishna Advani Biography Hindi)
वर्ष 2009 का चुनाव हारने के बाद एल.के. आडवाणी ने पार्टी के दूसरे नेताओं के लिए रास्ता साफ किया, और पार्टी में अपनी सक्रियता कम कर दी , वर्ष 2009 में सुषमा स्वराज भाजपा को लोक सभा में विपक्ष के अध्यक्ष के रूप चुन लिया गया, फिर वर्ष 2014 के चुनाव के लिए नरेंद्र मोदी को सभी पदों के लिए प्रबल दावेदारी एवं भागीदारी के लिए चुन लिया गया जिसके चलते आडवाणी नाराज हो गए थे , बाद में चुनाव में बंपर जीत के बाद उन्होने खुशी जाहिर की थी।
11 जून 2013 को लाल कृष्ण आडवाणी ने भाजपा के सभी पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन भाजपा की वरिष्ठ समिति ने 11 जून 2013 को ही इस्तीफा अमान्य कर दिया, उसके बाद बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने आडवाणी को आश्वासन देते हुए कहा, कि पार्टी में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है, पार्टी को हमेशा ही आडवाणी जैसे दिग्गज, अनुभवी नेता की आवश्यकता रहेगी।
मार्गदर्शक मण्डल –
वर्ष 2014 में एल.के. आडवाणी को भाजपा संसदीय बोर्ड से निकाल कर बीजेपी पार्टी में मार्गदर्शक मण्डल में शामिल किया गया। इस मण्डल में आडवाणी के साथ साथ पार्टी के कई वरिष्ठ नेता जैसे मुरली मनोहर जोशी को शामिल किया गया।
लेखन कार्य – (Lal Krishna Advani Biography Hindi)
लाल कृष्ण आडवाणी ने अपने जीवनकाल की घटना तथा राजनीतिक सफर को “माइ कंट्री माइ लाइफ” (My country My Life) नामक पुस्तक के जरिये दुनिया को बताया है, इस किताब का विमोचन भारत के 11वें राष्ट्रपति ए.पी.जे.अब्दुल कलाम द्वारा 2008 में किया गया था, इस किताब में 1040 पन्ने हैं, जो कि आडवाणी के जीवन की घटनाओं को चरितार्थ करती है, यह किताब अमेज़न जैसी कई ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर भी उपलब्ध है और इसको बुक स्टाल से भी लिया जा सकता है, बताया जाता है की यह बुक सर्वाधिक बिकने वाली बुक्स में एक है।
आडवाणी एक कुशल नेता हैं, उन्हे वर्ष 2015 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जब तक वे भाजपा के साथ हैं भाजपा को उनके अनुभव का लाभ मिलता रहेगा।
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