Jyoti Basu Biography in Hindi – ज्योति बासु भारत के महान राजनितिज्ञ और पश्चिम बंगाल के सबसे ज्यादा समय तक के मुख्यमंत्री थे। इनका जन्म 8 जुलाई, 1914 को कलकत्ता, पश्चिम बंगाल के एक उच्च मध्यम वर्ग बंगाली परिवार में हुआ था। इन्होने वर्ष 1977 से वर्ष 2000 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहकर भारत के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का कीर्तिमान स्थापित किया था।
इनके पिता का नाम निशिकांत बसु था, जो ढाका जिला, बंगाल (अब बांग्लादेश में) के बार्दी गांव में एक मशहूर डॉक्टर हुआ करते थे। माता का नाम हेमलता बसु था जो एक गृहिणी हुआ करती थीं। पहले इनके नाम ज्योति किरण बसु था, स्कूली शिक्षा के समय ही इनके पिता ने इनका नाम बदल कर केवल ज्योति बासु किया था। 17 जनवरी, 2010 को कोलकाता के एक अस्पताल में इन्होने अंतिम सांस लीं थी।
Jyoti Basu Biography in Hindi – संछिप्त परिचय
- वास्तविक नाम – ज्योति किरण बसु
- प्रचलित नाम – ज्योति बासु
- जन्म – 8 जुलाई, 1914 कोलकाता
- मृत्यु – 17 जनवरी, 2010 कोलकाता में
- पार्टी – मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी [माकपा]
- प्रोफेशन – राजनीतिज्ञ
- पद – सबसे ज्यादा समय तक पद पर रहने वाले मुख़्यमंत्री
- तमाम आंदोलनों में भाग लिए थे।
- काफी लोकप्रिय नेता रहे थे।
ज्योति बासु की शिक्षा –
ज्योति बासु ने अपनी शुरुआती शिक्षा वर्ष 1920 में धरमतला, कोलकाता के लोरेटो स्कूल में शुरू की थी। बाद में यह वर्ष 1925 में सेंट जेवियर स्कूल में पढ़े उसके पहले इन्होने स्नातक शिक्षा हिंदू कॉलेज में विशिष्ठ अंग्रेजी में पूरी की थी, वर्ष 1930 में यह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के सदस्य भी बने थे।
वर्ष 1935 में ज्योति बासु कानून की पढाई के लिए इंग्लैंड चले गए थे, जहां यह ग्रेट ब्रिटेन की कम्युनिस्ट पार्टी के संपर्क में आये बाद में बासु राजनैतिक क्षेत्र में कदम रखे थे, कुछ समय बाद यह मशहूर वामपंथी दार्शनिक और लेखक रजनी पाम दत्त से प्रेरित हुए थे। वर्ष 1940 में ज्योति बासु ने अपनी शिक्षा पूर्ण की और बैरिस्टर के रूप में मिडिल टेंपल से प्रात्रता हासिल की थी।
ज्योति बासु का राजनैतिक सफर –
जब यह विदेश से पढाई करके लौटे थे तब इनको वर्ष 1944 में पहली बार सीपीआई ने रेलवे कर्मचारियों के बीच काम करने के लिए कहा था, तब यह ट्रेड यूनियन की गतिविधियों में संलग्न हुए थे। कुछ समय बाद बी.एन. रेलवे कर्मचारी संघ और बी.डी रेल रोड कर्मचारी संघ का विलय हो गया और ज्योति बासु इस संघ के महासचिव बन गए थे। इनको कई तरीके से राजनीतिक सूझ-बूझ आती थी, जिसकी वजह से इन्होने कई आंदोलन में भाग भी लिए थे। 80 के दशक में दार्जिलिंग की पहाड़ियों में हुए “गोरखालैंड आंदोलन” और 90 के दशक में कूचबिहार जिले में हुए तीनबीघा आंदोलन का जिक्र भी इनके जीवन काल के एक महवपूर्ण घटना थी।
वर्ष 1985 में सुभाष घीसिंग और उनके समर्थकों ने जीएनएलएफ के बैनर तले अलग राज्य की मांग में जोरदार आंदोलन किया था। लगभग तीन वर्ष तक चले इस आंदोलन में सैकड़ों लोग मारे गए और करोड़ों की सरकारी संपत्ति नष्ट हो गयी थी। बाद में 15 अगस्त, 1988 को केंद्र, राज्य और जीएनएलएफ के बीच सहमति बन गयी, उसके बाद भी घीसिंग को लेकर कई बार बवाल होते थे, मगर जोति बासु ने उसको समय से शांत करवा लिया था।
ज्योति बासु का बंगाल में वाम दलों के साथ रखने का काफ़ी लंबा अनुभव था। वर्ष 1930 में इन्होने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया की सदस्ता ले ली थी। वर्ष 1957 में इन्होने पहली बार पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता चुने गए गए थे। यह लगातार 23 साल तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे थे।
ज्योति बासु से जुडी रोचक जानकारी – (Jyoti Basu Biography in Hindi)
- वर्ष 1996 में यह प्रधानमंत्री बनने के एकदम करीब आ गए थे, मगर बन नहीं पाए।
- इनके नाम देश के सबसे ज्यादा समय तक मुख़्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड भी है।
- पश्चिम बंगाल में मशहूर राजनेता रह चुकें है ज्योति बासु।
- आज भी जब लोग उनको याद करते हैं।
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