Muni Tarun Sagar Biography In Hindi – जैन मुनि तरुण सागर की सम्पूर्ण जीवनी

By | February 4, 2021

जैन मुनि तरुण सागर महाराज भारत के एक मशहूर जैन मुनि थे, इनका जन्म मध्य प्रदेश के दमोह में 26 जून, 1967 को हुआ था, इन्होने छत्तीसगढ़ में दीक्षा ली थी, यह अपने कड़वे प्रवचन से मीठी बात कहते थे, जिसके कारण लोग इनको बहुत पसंद करते थे, इन्होने अपने जीवन में कई सारी पुस्तकें भी लिखी हैं, जो जीवन को एक अच्छी दिशा देती हैं। इस पोस्ट में आप Muni Tarun Sagar Biography In Hindi से जुडी जानकारी प्राप्त करेंगे।

जैन मुनि तरुण सागर महाराज का परिचय –

Muni Tarun Sagar Biography In Hindi

मुनि तरुण सागर जी जैन दिगंबर साधु और लेखक थे, इनकी एक प्रसिद्ध पुस्तक श्रृंखला शीर्षक कड़वे प्रवचन काफी प्रसिद्ध पुस्तक रही है। इनके प्रवचनों में इतनी भीड़ होती थी की लोगों को बैठने की जगह नहीं मिलती थी, बहुत ही अच्छे जैन गुरु थे तरुण सागरजी महाराज, इनके बारे में कहा जाता है कि इन्होने आठ मार्च, 1981 को गृह त्याग दिया था। इसके बाद ये दीक्षा लेने के लिए छत्तीसगढ़ चले गए थे, जहाँ इन्होने 18 जनवरी 1982 को अकलतरा (छत्तीसगढ़) में दीक्षा लेना शुरू किया था, बाद में समय के साथ इनको 20 जुलाई 1988, को बागीदौरा (राजस्थान) में जैन मुनि की दीक्षा के साथ महाराज और जैन मुनि की उपाधि दी गयी थी, यहीं से यह एक महान जैन मुनि और गुरु बन गए थे। इन्होने देश को आधात्मिक शिक्षा दी थी, जो काफी प्रचलित रही।

जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज क्रन्तिकारी संत के रूप में विख्यात थे।

जैन मुनि तरुण सागर जी के पिता का नाम प्रताप चंद्र था, और माता का नाम शांतिबाई था। १३ वर्ष की उम्र में तरुण सागर ने घर का त्याग कर दिया था। आचार्य पुष्पदंत सागर जी मुनि इनके गुरु थे।

Muni Tarun Sagar Biography In Hindi – संछिप्त परिचय

  • वास्तविक नाम – जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज
  • जन्म – 26 जून, 1967 (दमोह मध्य प्रदेश)
  • माता-पिता – श्रीमती शांतिबाई जैन व श्री प्रताप चन्द्र जी जैन
  • घर का त्याग – 8 मार्च 1981
  • जैन मुनि बने – 20 जुलाई 1988, बागीदौरा (राजस्थान)
  • गुरू – आचार्य पुष्पदंत सागर जी मुनि
  • प्रसिद्धि – क्रांतिकारी संत
  • दिगंबर पंथ के काफी प्रसिद्ध मुनी रहे थे तरुण सागरजी महाराज
  • निधन – 1 सितम्बर 2018 को दिल्ली में
  • मृत्यु का कारण – लम्बी बीमारी की वजह से

तरुण सागर के बारे में बताया जाता है कि बचपन से ही इनका मन अध्यात्म में था, जिसकी वजह से इन्होने गृह का त्याग करके दीक्षा लेना शुरू कर दिए थे, समय के साथ ये एक बड़े जैन मुनि के नाम से विख्यात हुए। इन्होने अपने जीवन के बहुत कम समय में ही पूरे देश का भ्रमण किया था। यह अन्य जैन मुनियों से बिलकुल अलग थे, अपने क्रांतिकारी प्रवचनो के माध्यम से इन्होने हमेशा सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की थी। इनके प्रवचनों को सुनने के लिए अन्य धर्मो के लोग भी काफी संख्या में आया करते थे।

इन्होने अपने प्रवचनों के माध्यम से भ्रष्टाचार , हिंसा और रुढ़िवाद का जोरदार विरोध किया था, इनके बोलने का बोलने का तरीका ऐसा था की लोग इनके एक क्रन्तिकारी जैन सन्त मानते थे। वैसे तो जैन मुनि लोग राजनेताओं से दुरी बनाकर रहते थे, मगर तरुण सागरजी महाराज ऐसे नहीं थे वे कई नेताओं और अधिकारियों से अतिथि में रूप में मिला करते थे एक बार तो इन्होने मध्य प्रदेश की विधान सभा (2010) को भी सम्बोधित किया था। 26 अगस्त 2016 में इन्होने हरियाणा विधानसभा में भी प्रवचन दिया था , ये दोनों इवेंट इनकी यादगार प्रवचनों में से एक थे।

तरुण सागर जी पुरस्कार और सम्मान –

  • कर्नाटक राज्य ने इनको क्रन्तिकारी शीर्षक दिया था।
  • तरुण सागर जी वर्ष 2002 में यह मध्य प्रदेश के और 2003 में गुजरात राज्य के अतिथि भी रहे थे।
  • वर्ष 2003 में तरुण सागर जी ने इंदौर (मध्य प्रदेश) में राष्ट्रसंत को भी सम्बोधित किया था।
  • इनके कड़वे बचन आठ हिस्सों में संकलित हुए थे।
  • अपने प्रवचन के लिए इनको और भी कई सम्मान मिले थे।

इनके बारे में कहा जाता है कि इन्होने एक ऐसी किताब प्रकाशित किया था जिसका वजन 2000 किलों है। किताब की चौड़ाई 24 फीट और लम्बाई 30 फीट है। यह किताब बहुत कम देखने को मिलती है।

तरुण सागरजी महाराज के बारे में अधिक जानकारी के लिए विकिपीडिया का अवलोकन करें।

जैन मुनि तरुण सागर द्वारा लिखी गयी पुस्तकें –

Kadve Pravachan
Jeeo Aur Jeene Do
Kadve Pravachan Combo

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