Ram Prasad Bismil Hindi – भारत के मशहूर स्वतंत्रता सेनानी, कवि, शायर, अनुवादक, इतिहासकार व साहित्यकार राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ का जन्म 11 जून 1897 को शाहजहाँपुर, ब्रिटिश भारत (वर्तमान में उत्तर प्रदेश का एक एक जिला) में हुआ था। इनके पिता जी का नाम मुरलीधर था, और माता का नाम मूलमती रमेश सिंह इनके भाई थे, और शास्त्री देवी, ब्रह्मादेवी, भगवती देवी इनकी बहनें थी। नारायण लाल इनके दादा जी थे, विचित्रा देवी इनकी दादी थी, और कल्याणमल इनके चाचा थे।
इन्होने आजादी के समय कई देशभक्ति गीत लिखें है, गीत सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है राम प्रसाद बिस्मिल ने ही लिखा था। शहीद राम प्रसाद बिस्मिल का क्रांति और कलम से समान रिश्ता था। राम प्रसाद बिस्मिल की पढ़ाई लिखाई राजकीय विद्यालय, शाहजहाँपुर से हुई थी, बताया जाता है की यह आठवीं पास थे। पढाई छोड़ने के बाद बिस्मिल स्वतंत्रता सेनानी बन गए थे, इन्होने अपना पूरा जीवन देश के लिए लगा दिया।
Ram Prasad Bismil Hindi – संछिप्त परिचय
- वास्तविक नाम – राम प्रसाद ‘बिस्मिल’
- उपनाम – बिस्मिल, राम, अज्ञात
- प्रोफेशन – स्वतंत्रता सेनानी, कवि, शायर, अनुवादक
- जन्म – 11 जून 1897
- जन्म स्थान – शाहजहाँपुर, ब्रिटिश भारत (वर्तमान में उत्तर प्रदेश)
- मृत्यु तिथि – 19 दिसंबर 1927
- मृत्यु स्थल – गोरखपुर जेल, ब्रिटिश भारत
- मृत्यु का कारण – फांसी (सजा-ए-मौत)
- समाधि स्थल – जिला देवरिया, बरहज, उत्तर प्रदेश
- गृहनगर – गांव खिरनीबाग मोहल्ला, शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश
- जाति – ब्राह्मण
- शौक – पुस्तकें पढ़ना, लिखना
- वैवाहिक स्थिति – अविवाहित
- पसंदीदा व्यक्ति – महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती
राम प्रसाद बिस्मिल के पिता कचहरी में स्टाम्प पेपर बेचा करते थे, इनके माता पिता राम के आराधक भी थे जिसकी वजह से बिस्मिल का नाम ऐसा पड़ा था। इनके पिता की कुल 9 सन्तानें हुई थी, जिनमें से पाँच लड़कियां एवं चार लड़के थे, बताया जाता है की कुछ समय बाद दो लड़कियां एवं दो लड़कों का निधन हो गया था।
बताया जाता है की बाल्यकाल से ही बिस्मिल का परिवार उनकी शिक्षा को बहुत महत्व देता था, मगर राम प्रसाद बिस्मिल का मन खेल कूद में ज्यादा लगता था, वो बहुत घुमा करते थे, जिसकी वजह से उनके पिताजी उनको खूब पीटा करते थे, मगर उनकी माँ उनको हमेशा यही कहती थी की बेटा राम पढाई भी किया करो।
बिस्मिल को 18 वर्ष की आयु से अपने पिताजी के जेब से पैसे चुराने की लत लग गयी थी, इसके साथ बिस्मिल को सिगरेट पीना, भाँग पीना, इत्यादि नशा की भी लत लग गयी थी। कुछ दिनों बाद बिस्मिल ने उर्दू भाषा में मिडिल की परीक्षा उत्तीर्ण न होने पर अंग्रेजी पढ़नी शुरू की थी। एक पुजारी की वजह से रामप्रसाद पूजा पाठ करने लगे थे।
राम प्रसाद बिस्मिल के जीवन में परिवर्तन –
पूजा पाठ का मार्ग पकड़ने के बाद बिस्मिल का जीवन बहुत ही अच्छा होने लगा था, उस समय इनकी मुलाकात मुंशी इन्द्रजीत से हुई, जिन्होंने बिस्मिल को आर्य समाज के सम्बन्ध में बताया और स्वामी दयानन्द सरस्वती की लिखी पुस्तक “सत्यार्थ प्रकाश” को पढ़ने की प्रेरणा दी। उस पुस्तक को पढ़ने के बाद बिस्मिल के जीवन पर आश्चर्यजनक प्रभाव पड़ा था।
बाद में वर्ष 1916 के कांग्रेस अधिवेशन में पं॰ जगत नारायण ‘मुल्ला’ के आदेश की धज्जियाँ बिखेरते हुए, रामप्रसाद ने जब लोकमान्य बालगंगाधर तिलक की पूरे लखनऊ में शोभायात्रा निकाली, तो सभी नवयुवकों का ध्यान उनकी दृढता की ओर आकर्षित हुआ।
राम प्रसाद बिस्मिल से जुडी रोचक जानकारी –
- बिस्मिल की एक विशेषता थी कि वे किसी भी स्थान पर अधिक दिनों तक ठहरते नहीं थे।
- बिस्मिल ने वर्ष 1918 में प्रकाशित अंग्रेजी पुस्तक “दि ग्रेण्डमदर ऑफ रसियन रिवोल्यूशन” का हिन्दी अनुवाद किया।
- यह कभी शाहजहाँपुर में “भारत सिल्क मैनुफैक्चरिंग कंपनी” में एक प्रबंधक के रूप में कार्य किया करते थे।
- राम प्रसाद बिस्मिल ने वर्ष 1921 में, अहमदाबाद कांग्रेस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज के प्रस्ताव पर मौलाना हसरत मोहनी का भरपूर समर्थन किया था। जिसके चलते पूर्ण स्वराज को पारित किया गया।
- बिस्मिल को मैनपुरी षड्यन्त्र और काकोरी कांड में दोषी पाते हुए सेशन जज ए० हैमिल्टन ने फांसी की सजा सुनाई थी।
- यह एक महान देशभक्त थे।
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