Sarojini Naidu Biography in Hindi – सरोजिनी नायडू (कोकिला) की जीवनी

By | October 11, 2021

इस बायोग्राफी लेख में आप भारत की कोकिला कही जाने वाली, और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष श्रीमती सरोजिनी नायडू के जीवन परिचय (Sarojini Naidu Biography in Hindi) से जुड़ी जानकारी प्राप्त करेंगे, तो चलिए जानतें है की कौन थीं सरोजनी नायडू? (sarojini naidu poems in hindi, sarojini naidu mother name, सरोजिनी नायडू की मृत्यु कब हुई थी, सरोजिनी नायडू का जन्म कहां हुआ था, sarojini naidu awards list)

जीवन परिचय –

सरोजनी नायडू भारत की एक महान महिला और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष रहीं थी, यह पहली महिला राज्यपाल भी थीं। यह बच्चों को ऊपर कविता लिखती थीं, जिसकी वजह से इनको एक अच्छी कवित्री के रूप में भी जाना जाता था। इनकी सभी कविताओं में चुलबुलापन होता था, ऐसे लगता था की इनके अन्दर का बच्चा अभी भी जीवित है इसलिए इन्हें ‘भारत की बुलबुल’ कहा जाता था। इनको भारत की महान और सफल महिलाओं की केटेगरी में जाना जाता है।

सरोजनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को आंध्र प्रदेश, हैदराबाद में एक बंगाली परिवार में हुआ था। इनके पिता एक वैज्ञानिक और डॉक्टर थे, जो हैदराबाद में रहते थे और हैदराबाद कॉलेज के प्रमुख अधिंकारी भी थे। बाद में इनके पिता ने नौकरी छोड़ दी और आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। इनकी माता का नाम वरद सुन्दरी देवी था, जो एक बंगाली लेखिका थीं। सरोजनी नायडू अपने 8 भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। इनके भाईसाहब वीरेन्द्रनाथ एक क्रन्तिकारी थे, जिन्होने बर्लिन कमिटी बनाने में मुख्य भूमिका निभाई थी।

Sarojini Naidu Biography in Hindi – संछिप्त परिचय

वास्तविक नाम – सरोजनी चटोपाध्य
उपनाम – कोकिला
जन्म – 13 फरवरी 1879
जन्म स्थान – हैदराबाद, आंध्र प्रदेश
माता-पिता – वारद सुन्दरी देवी , डॉ अघोरनाथ चटोपाध्या
पति – डॉ गोविन्द राजुलू नायडू (1897)
पद्मजा, रणधीर, लिलामानी, निलावर, जयसूर्या नायडू
मृत्यु – 2 मार्च 1949 लखनऊ

सरोजनी नायडू की शिक्षा –

बचपन से ही सरोजनी नायडू जी एक अच्छी विद्यार्थी रहीं थी, इनको उर्दू, तेलगु, इंग्लिश, बंगाली सभी भाषा का अच्छा ज्ञान था। इनके बारे में इतिहास गवाह है की इन्होने 12 साल की उम्र में ही मद्रास यूनिवर्सिटी में मैट्रिक की परीक्षा में टॉप किया था। इस समाचार को सुनकर इनके पिता बहुत खुश हुए थे, वो चाहते थे की सरोजनी नायडू एक वैज्ञानिक बने या फिर मैथ में आगे जाय, मगर सरोजनी जी की रूचि कविता लिखने में थी जिसकी वजह से वो एक अच्छी कवित्री बनीं।

बाद में सरोजनी नायडू जी लन्दन के किंग कॉलेज में पढाई करने चली गयीं, वहीं इन्होने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से अपनी आगे की पढाई पूरी की थी, कॉलेज के समय में भी इनको कविता लिखने का शौक रहा जो इनको विरासत में मिला था।

शिक्षा में रोचक –

  • इनके बारे में कहा जाता है की इन्होने एक बार अपनी मैथ की कॉपी में 1300 लाइन की एक कविता लिख डालीं थीं।
  • यह कॉपी उनके पिता ने हैदराबाद के नबाब को भी दिखाया था।

प्रेम और विवाह –

ये उन दिनों की बात है जब सरोजनी नायडू कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के कॉलेज में पढ़ती थीं, उन्हीं दिनों इनकी मुलाकात डॉ गोविन्द राजुलू नायडू से हुई थी, दोनों लोग कॉलेज ख़त्म होने तक एक दूसरे के करीब आये और 19 साल की उम्र में पढाई ख़त्म करके सरोजनी नायडू ने अपनी पसंद से वर्ष 1897 में दूसरी कास्ट में शादी कर ली। उस समय अन्य जाति में शादी करना एक गुनाह से कम नहीं हुआ करता था, समाज की चिंता न करते हुए इनके पिता ने भी इनकी शादी को स्वविकार कर लिया, बाद में इनके 4 बच्चे हुए, जिसमें उनकी बेटी पद्मजा जो सरोजनी जी की तरह कवित्री बनी और साथ ही राजनीति में उतरी और 1961 में पश्चिम बंगाल की गवर्नर भी बनी थीं।

सरोजनी नायडू का राजनितिक सफर –

बताया जाता है की नायडू जी ने शादी के बाद भी अपनी सुंदर सुंदर कविता लिखा करती थीं, जिसे लोग गाने के तौर पर गया करते थे। वर्ष 1905 में उनकी एक कविता बुल बुले हिन्द प्रकाशित हुई, जिसके बाद सरोजनी नायडू बहुत प्रसिद्ध हो गयीं, उसके बाद इन्होने लगातार कवितायेँ प्रकाशित करवाने लगीं और काफी अच्छी प्रसिद्धि हासिल करने लगीं। बताया जाता है की इनकी कवितायेँ इतनी अच्छे हुआ करती थीं, की जवाहरलाल नेहरु, रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे महान लोग भी इसको पढ़ते थे। वे इंग्लिश में भी कवितायेँ लिखती थीं।

बात उन दिनों की है जब सरोजनी जी की मुलाकात गोपाल कृष्ण गोखले से हुई थी , उस समय उन्होंने सरोजनी जी को बोला, कि वे अपनी कविताओं में क्रांतिकारीपन लायें ताकि स्वतंत्रता की लड़ाई में साथ देने में छोटे छोटे गाँव के लोगों को प्रोत्साहित किया जा सके। वर्ष 1916 में सरोजनी नायडू महात्मा गाँधी के सम्पर्क में आयीं, उसके बाद इनकी सोच में पूरी तरह से बदलाव आया, और इन्होने अपनी पूरी ताकत देश को आजाद कराने में लगा दी।

बाद में इन्होने पुरे देश में भ्रमण किया मानो ऐसा लगता था की यह किसी सेना का सेनापति निरक्षण कर रही हैं। इन्होने देश की आजादी के लिए लोगों में एक ललक जगाई थी, खासकर देश की उन औरतों को उनके अधिकार के बारे में बताया चर्चा किया जो महिलाएं केवल रसोईघर तक ही सिमित रहती थीं। यह देश के अलग अलग प्रदेश, शहर, गाँव में जाकर औरतों को समझाती थीं।

रोचक जानकारी –

  • वर्ष 1925 की बात है जब सरोजनी नायडू को कानपूर से इंडियन नेशनल कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया।
  • बाद में वर्ष 1930 में इन्होने गुजरात में गांधीजी के नमक सत्याग्रह में मुख्य भूमिका निभाई थी।
  • उन दिनों की बाद है जब वर्ष 1930 में गांधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया था, तब सरोजनी जी ने ही गांधीजी की जगह काम किया।
  • 1942 में गाँधीजी के भारत छोड़ो आन्दोलन में इनकी मुख्य भूमिका काफी अच्छी रही थी।

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